(सिरसा)किसानों को पराली जलाने की बजाए अवशेष प्रबंधन करना चाहिए : उपायुक्त पार्थ गुप्ता
- 03-Oct-23 12:00 AM
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- किसान फसल अवशेष प्रबंधन कर बचाए जमीन, पानी तथा भावी पीढ़ी का अस्तित्वसिरसा 3 अक्टूबर (आरएनएस)। धान के अवशेष जलाना कानूनी जुर्म ही नहीं बल्कि सामाजिक बुराई भी है। अवशेष जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है और साथ ही धुएं से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है लिहाजा किसानों को पराली जलाने की बजाए अवशेष प्रबंधन करना चाहिए। वर्तमान में पराली जलाने की समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है, इसमें किसानों की जागरूकता तथा सहयोग की जरूरत है जो उन्हें अपनी भावी नस्ल एवं फसल के अस्तित्व बचाने के लिए लाजमी बनाना चाहिए।उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने कहा कि पराली जलाना वर्तमान का ज्वलंत विषय है, इसके प्रति प्रत्येक किसान को सोचना होगा। उन्होंने कहा कि धान के अवशेष प्रबंधन करने में सरकार व विभाग द्वारा किसानों को अनेक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने के साथ-साथ अवशेष प्रबंधन करने वाले किसान को आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जमीन किसान की अहम पूंजी है और इसकी सुरक्षा रखना किसान का परम दायित्व है जो उसे निभाना चाहिए। धान अवशेष में आग लगाने से जमीन की ऊपरी सतह नष्ट होने से उपजाऊ शक्ति पर भी विपरीत असर पड़ता है, इसके अलावा कृषि मित्र कीट एवं अन्य पोषक तत्व समाप्त हो जाते है, जिससे लगातार पैदावार भी कम होने लगती है। बार-बार अवशेष यानी पराली में आग लगाने से आने वाले समय में कृषि योग्य जमीन पूर्णतया बंजर हो जाएगी और भावी पीढ़ी के लिए खाद्यान तथा पशुओं के लिए चारा की कमी की भंयकर समस्या पैदा हो जाएगी, इसलिए प्रत्येक किसान को अपनी आने वाली पीढ़ी के सुखद भविष्य के लिए पराली न जलाने तथा अवशेष प्रबंधन करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा संकल्प लेकर किसान जहां अपनी नस्ल व फसल को सुरक्षित रखेगा वहीं एक सामाजिक बुराई को भी समाप्त करेगा।उपायुक्त ने जिला के सभी किसानों का आह्वान किया कि वे अपनी सुविधा अनुसार कृषि यंत्रों का फसल अवशेष प्रबंधन में अधिकाधिक इस्तेमाल करें और अपनी जमीन, पानी के संरक्षण के साथ-साथ भावी पीढ़ी के भविष्य को भी उज्जवल बनाए। फसल अवशेष प्रबंधन करना केवल किसानी बचाना नहीं बल्कि सामाजिक बुराई को खत्म करना भी है। पराली जलाने से किसान ही नहीं बल्कि पुरा मानव समाज भयावह तथा जानलेवा बीमारियों का शिकार होता है, इसके अलावा पराली जलने से पैदा हुए धुएं की वजह से व्यापत अदृश्यता के कारण वाहन दुर्घटनाएं बढ़ती हैं जो कई बार किसी भी परिवार के लिए अपूरणीय मानव क्षति का कारण बन जाती है। उपायुक्त ने किसानों से अनुरोध किया कि पराली ना जलाए, फसल अवशेष प्रबंधन करें ताकि जिला को पूर्णतया प्रदूषण मुक्त करने में आगे बढ़ा जा सके।
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