(सिरसा)जब मन का प्रदूषण समाप्त होगा, तब बाहरी पर्यावरण स्वत: ही स्वच्छ हो जाएगा: कालिंदी भारती

  • 14-Sep-25 12:00 AM

सिरसा 14 सितंबर (आरएनएस)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री मद्भागवत कथा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ में पर्यावरण असंतुलन की समस्या को उठाते हुए साध्वी कालिदी भारती ने कहा कि समाज मानव मन की अभिव्यक्ति है। जब जब संतों के आदर्शों का परित्याग करते हुए मानव भोग वासना की ओर प्रवृत्त हुआ, तब-तब समाज रुपी यमुना विषाक्त होती गई। जरुरत मन को प्रदूषण से मुक्त करने की है। जब मन का प्रदूषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वत: ही स्वच्छ हो जाएगा। इसके लिए जरुरत है ब्रह्मज्ञान की जो मानसिक शुद्धता का सशक्त साधन है। हमें आवश्यकताओं और लालसाओं में भेद करना होगा। जितनी लालसायें बढ़ेंगी उतना ही प्रकृति का दोहन होगा। क्या हम आने वाली पीढिय़ों को ऐसी दुनियां देना चाहेंगे, जिसकी हवाओं में जहर घुला होए जहां धूल, धूओं और बीमारियां आम बात हों। जहां सुख और बाढ़ विनाश की सृष्टि करते हों। संभवत: कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को ऐसी विभीषक दुनियां नहीं देना चाहेगा। यदि हमें एक स्वच्छ व सुंदर समाज का निर्माण करना है तो भारतीय सांस्कृति जीवन दृष्टि को पुनर्जीवित करना होगा और उसे सक्रिय रूप से लागू करना होगा। इसी भारत भूमि के संतों ने हमें चेताया कि भूमि के सुखों को भोगो तो सही, परन्तु त्यागपूर्वक, यदि त्यागपूर्वक नहीं भोगेंगे तो भोगने की क्षमता और सामथ्र्य नहीं रहेगा। संतों के बताए मार्ग पर चलकर हम पृथ्वी को रसातल के मार्ग पर भेजने से बचा सकते हैं। साध्वी जी ने इस गंभीर मुद्दे पर विचार देते हुए कहा कि आज का आधुनिक मानव जिस गति से पर्यावरण का शोषण कर रहा है, उसके परिणाम स्वरूप आने वाले कुछ समय में पृथ्वी पर न तो पीने के लिए स्वच्छ जल बचेगा और न ही सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु। पृथ्वी के हाहाकार से, प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति का स्तर भी बढ़ जाएगा। इसलिए यदि समय रहते इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो मानव अपने भविष्य के लिए स्वयं जिम्मेवार होगा। वर्तमान समय में यदि कोई आपदा मानव जीवन को खत्म करने का प्रयत्न कर रही है तो वह है पर्यावरण में बढ़ रहा प्रदूषण। इसमें तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है व समुद्र के पानी का स्तर ऊपर उठता जा रहा है। यदि यह ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा हो जाएगा। हमारे पर्यावरण में पूरी तरह से जहर घुल चुका है। इसका जिम्मेवार स्वयं मानव ही है। जिसकी विकासवादी सोच आज मानव जाति के लिए घातक सिद्ध हो रही है। इसी सोच के कारण ही मानव प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को भूलता जा रहा है। वह संवैधानिक व सामाजिक नियमों की धज्जियां उड़ा कर वातावरण में जहर घोलता जा रहा है। 19वीं सदी तक प्रदूषण नाम की समस्या से लोग अनभिज्ञ थे, परन्तु जैसे ही उद्योगिक क्रांति आई संसार में प्रतिदिन नए-नए कारखाने खुलने लगे। इनके द्वारा पैदा किए गए जहरीले धूएं व कच्चे माल की पूर्ति के लिए प्राकृतिक साधनों के शोषण ने इस समस्या को जन्म दे दिया है। इस क्रांति के साथ ही मानव की जिन्दगी का पूरी तरह से मशीनीकरण हो चुका है। मानव की जरुरतों में हुई बढ़ोतरी के कारण वह प्राकृतिक साधनों का दुरुपयोग करने लग गया है। इसकी पूर्ति के लिए मनुष्य ने पौधों की कटाई कर कंक्रीट के जंगलों का निर्माण करना शुरु कर दिया है। इसके अलावा नदियों को कारखानों की गंदगी फैंकने के लिए कूड़ादान बना लिया है। ग्लोबल वार्मिंग बढऩे के कारण सूर्य की भयानक किरणों से हमारा बचाव करने वाली ओजोन परत में भी छिद्र हो चुका है। जिस कारण आज मानव भयानक व नामुराद बीमारियों से ग्रसित है। यदि इस प्रदूषण को न रोका गया तो वर्ष 2054 तक हमारी सुरक्षा कवच ओजोन परत पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। आज की कथा में पर्यावरण जागरुकता संबंधी एक विशेष स्टाल लगाया गया व आए हुए भक्त श्रद्धालुगणों को पौधे वितरित किए गए। उल्लेखनीय है कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा प्रस्तुत इस कथा में प्रतिदिन सामाजिक बुराईयों व समस्याओं के प्रति विश्लेषणात्मक विचार प्रस्तुत किए जा रहे हैं। उपस्थित प्रभु भक्त इसी रोचकता के चलते बड़ी संख्या में कथा श्रवण करने हेतु पधार रहे हैं। श्री मद्भागवत को कथा में भगवान श्री कृष्ण की नटखट व भाव विभोर करने वाली लीलाओं को कथा प्रसंग व मधुर संकीर्तन के माध्यम से श्रवण कर भक्त श्रद्धालुगण मंत्र मुग्ध हो झूमने को मजबूर हो उठे। कथा के उचित प्रबंध व सुव्यवस्था के कारण पूरा पंडाल मानो वृंदावन की छटा बिखेर रहा था। कथा का आरंभ भागवत पूजन से किया गया। जिसमें मुख्य यजमान सुनील बंसल, लक्की गुप्ता परिवार और दैनिक यजमान एडवोकेट संजय गोयल, अश्वनी बंसल, रवि सिंगला, वीरभान गर्ग के परिवार द्वारा पूजन कराया गया। कथा में विशेष अतिथि बाबा हरिनाम दास महंत डेरा बाबा भूमन शाह मल्लेवाला, जसवंत सिंह कारागार अधीक्षक सिरसा, नगर पालिका अध्यक्ष शांति स्वरूप, महेश सुरेखा, बलजीत कुलरिया, डा. सुदर्शन बत्रा, डा. श्याम मेहता, पाल सिंह, जगदीश खट्टर उपस्थित रहे।




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