(सिरसा)दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ
- 09-Sep-25 12:00 AM
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सिरसा 9 सितंबर (आरएनएस)। आध्यात्मिक जाग्रति के प्रसार हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का सोमवार रात्रि को शुभारंभ किया गया। कथा के दौरान आशुतोष महाराज की शिष्या भागवत भास्कर महामनस्विनी साध्वी कालिंदी भारती ने श्रीमद्भागवत कथा का माहात्म्य बताते हुए कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुंचता रहा है। भागवत महापुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से बहकर चली आ रही है। इसी लिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। साध्वी जी ने श्री मद्भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि श्री मद्भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात् चैतन्य, सौन्दर्य, ऐश्वर्य। भगवत: प्रोक्तम् इति भागवत। भाव कि वो वाणी, वो कथा जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है, जो हमारे जीवन को सुन्दर बनाती है, वो श्री मद्भागवत कथा है, जो सिर्फ मृत्यु लोक में ही संभव है। साध्वी जी ने बताया कि यह एक ऐसी अमृत कथा है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत की बजाए कथामृत की ही मांग की। इस स्वर्गामृत का पान करने से पुण्यों का तो क्षय होता है पापों का नहीं। किन्तु कथामृत का पान करने से सम्पूर्ण पापों का नाश होता है। कथा के दौरान उन्होंने वृन्दावन का अर्थ बताते हुए कहा कि वृन्दावन इंसान का मन है। कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति जागृत होती है। परन्तु वह जागृति स्थाई नहीं होती, जिस का कारण यह कि हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं पर वैराग्य नहीं, तड़प नहीं, भाव नहीं और ज्ञान नहीं। इसलिए वृन्दावन में जा कर भक्ति देवी तो तरुणी हो गई पर उस के पुत्रा ज्ञान और वैराग्य वृावस्था में अचेत और निर्बल पड़े हैं। उन में जीवंतता और चैतन्यता का संचार करने हेतु नारद जी ने भागवत कथा का ही अनुष्ठान किया। जिस को श्रवण कर वो पुन: जीवंत और सबल हो उठे, क्योंकि व्यास जी कहते हैं कि भागवत कथा एक कल्पवृक्ष की भांति है, जो जिस भाव से कथा श्रवण करता है उसे मनोवांछित फल देती है। यह निर्णय हमारे हाथों में है कि हम संसार की मांग करते हैं या करतार की। श्री मद् भागवतेनैव भक्ति मुक्ति करे स्थिते, अर्थात् यदि भक्ति चाहिए तो भक्ति मिलेगी, मुक्ति चाहिए तो मुक्ति मिलेगी। लेकिन कथा को मात्रा श्रवण करने या पढऩे से कल्याण नहीं होता। जब तक इन्हें अर्थात् इनसे प्राप्त होने वाली शिक्षा को हम अपने जीवन में चरितार्थ नहीं कर लेते। कथा का शुभारंभ भागवत पूजन सुनील बंसल, संजीव बंसल, दीपक बंसल के परिवार द्वारा कराया गया। अतिथि के रूप में अशोक कुमार रजिस्ट्रार देवीलाल यूनिवर्सिटी, श्याम लाल फुटेला देवीलाल यूनिवर्सिटी, सुशील मित्तल प्रधान हरियाणा कॉटन एसोसिएशन, वीरेंद्र गुप्ता सचिव हरियाणा कॉटन एसोसिएशन, जगदीश बंसल, विपिन बंसल उपस्थित रहे।
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