(सिरसा)प्रधानमंत्री ने किया बिमला सिंवर को नमो: ड्रोन दीदी के अवार्ड से सम्मानित

  • 12-Mar-24 12:00 AM

महिलाओं के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री के प्रयास सराहनीय: बिमला सिंवरसिरसा 12 मार्च (आरएनएस)। नेक नियति और कुछ हटकर कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन से कठिन मुकाम को भी बड़ी आसानी से हासिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चलाकर मातृ शक्ति को जो मान-सम्मान बढ़ाया है, वो काबिले तारीफ है। उक्त बातें सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री से नमो: ड्रोन दीदी का अवार्ड प्राप्त करने वाली सिरसा निवासी समाजसेविका बिमला सिंवर ने मंगलवार को सिरसा लौटने पर पत्रकारों से रू-ब-रू होते हुए कही। सिंवर ने बताया कि वे प्रधानमंत्री की इसलिए भी शुक्रगुजार हंै कि इससे पहले आज तक किसी ने एसएसजी की बहनों को याद ही नहीं किया था। उन्होंने बताया कि वह स्वयं सहायता समूह गु्रप के नाम से एक संस्था चलाती है। प्रधानमंत्री ने लालकिले से घोषणा की थी कि 15 हजार एसएसजी की बहनों को नमो: ड्रोन दीदी पायलट बनाएंगे। उन्होंने इसी के तहत एक ऑनलाइल फार्म एग्रीकल्चर में भरा और पूरे हरियाणा से उनका चयन हुआ। उन्होंने करनाल में इस संबंधी ट्रेनिंग ली। सिंवर ने बताया कि प्रधानमंत्री की सोशल मीडिया पर गतिविधियों को देखकर उन्हें प्रोत्साहन मिला। इसके बाद उनमें भी जुनून आया और गुडग़ांव के मानसेर में 10 दिन की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग में 15 में से 10 महिलाएं पास हुई। उन्होंने बताया कि बड़ी बात है कि ग्रामीण क्षेत्रों उठकर महिलाओं द्वारा इस मुकाम तक पहुंचना अपने आप में बड़ी बात है। हरियाणा से 70 बहनों को कृभकों की तरफ से नमो ड्रोन दीदी पायल की ट्रेनिंग दी गई। चीफ एग्जीक्यूटिव जयप्रकाश का भी उन्होंने मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद किया, जिन्होंने एक बेहतरीन प्लेटफार्म दिया। कुल 107 महिलाओं को प्रधानमंत्री ने अपने हाथों से नमो: ड्रोन दीदी अवार्ड दिए, जिनमें भारत की 3 महिलाएं शामिल हैं।बिमला सिंवर की समाजसेवा के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में भी उनकी भागीदारी अहम रही थी। उनकी स्वयं भी दो बेटियां हंै, जिनमें से एक डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है तो दूसरी के नाम से रानियां में सोसायटी बनाई हुई है, जिसमें अलग-अलग कार्यों में 7500 से अधिक महिलाएं अलग-अलग कार्यों को अपनाकर आत्मनिर्भर बन रही है। उन्होंने बताया कि 2006 से उन्होंने गुजरात के गांवों में जाकर मंडली के माध्यम से 3 रुपए में रोजगार शुरू किया। 2011 में सहकारिता में महिला उत्थान की पोस्ट मिली। अमित शाह ने सहकारिता में महिलाओं को बढ़ावा दिया। फिर उनके मन में विचार आया कि क्यों न गुजरात का पेटर्न सिरसा में लाया जाए। उन्होंने बताया कि ड्रोन के साथ-साथ महिलाएं मत्स्य पालन, माइनिंग, खेतों में फसल खराब होने पर मुआयना करने जैसे कई काम कर सकेंगी।जो महिलाएं चुल्हे चौके से बाहर नहीं निकल पा रही हंै, उन महिलाओं से आह्वान है कि अगर उनकी नियति नेक है और काम करने का जज्बा है तो वे एकजुट होकर सरकार की योजनाओं को आगे लेकर जाएं। सफलता एक न एक दिन जरूर मिलेगी। सिंवर ने कहा कि आप कर्म करें, फल की इच्छा ना करें, मुझे भी नहीं पता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक दिन सम्मान मिलेगा। दिल व लगन से काम करने पर कुछ भी संभव है।




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