(सिरसा)भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं, वह हम सबके हृदय में मौजूद : आचार्य ओमप्रकाश ध्यानी

  • 03-Oct-23 12:00 AM

सिरसा 3 अक्टूबर (आरएनएस)। वार्ड नं. 1 स्थित श्री बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड धर्मशाला प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य ओमप्रकाश ध्यानी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। इसके लिए मनुष्य को निर्मल भाव से कथा सुनने और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। कथा व्यास ने कहा कि, भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आचार्य ओमप्रकाश ध्यानी ने भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। भागवत की महिमा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि, एक बार नारद जी ने चारों धाम की यात्रा की, लेकिन उनके मन को शांति नहीं हुई। नारद जी वृंदावन धाम की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती की गोद में दो बुजुर्ग लेटे हुए थे, जो अचेत थे। युवती बोली महाराज मेरा नाम भक्ति है। यह दोनों मेरे पुत्र हैं, जिनके नाम ज्ञान और वैराग्य है। यह वृंदावन में दर्शन करने जा रहे थे। लेकिन बृज में प्रवेश करते ही यह दोनों अचेत हो गए। बूढ़े हो गए। आप इन्हें जगा दीजिए। इसके बाद देवर्षि नारद जी ने चारों वेद, छहों शास्त्र और 18 पुराण व गीता पाठ भी सुना दिया। लेकिन वह नहीं जागे। नारद ने यह समस्या मुनियों के समक्ष रखी। ज्ञान, वैराग्य को जगाने का उपाय पूछा। मुनियों के बताने पर नारद जी ने हरिद्वार धाम में आनंद नामक तट पर भागवत कथा का आयोजन किया। मुनि कथा व्यास और नारद जी मुख्य परीक्षित बने। इससे ज्ञान और वैराग्य प्रथम दिवस की ही कथा सुनकर जाग गए। उन्होंने कहा कि, गलती करने के बाद क्षमा मांगना मनुष्य का गुण है, लेकिन जो दूसरे की गलती को बिना द्वेष के क्षमा कर दे, वो मनुष्य महात्मा होता है। जिसके जीवन में श्रीमद्भागवत की बूंद पड़ी, उसके हृदय में आनंद ही आनंद होता है। सायं 3.15 बजे से शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा सुनने पहुंचे। इससे पहले दीप प्रज्जवलित कर व्यास पीठ की पूजा-अर्चना की। कथा के दौरान आचार्य कुलदीप भारद्वाज, आचार्य कृष्ण उपाध्याय व आचार्य अशोक अमडोला सहित अन्य संगीतज्ञों ने ने भजमन राधे-राधे, राधे-गोबिन्दा... सहित कृष्ण की लीलाओं से संबंधित सुन्दर-सुन्दर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान हाल में मौजूद महिलाएं श्रीकृष्ण की लीलाओं से संबंधित भजनों पर खूब थिरकी। कथा के मध्य में मेरी लगी श्याम संग प्रीत और मां की ममता के महत्व का भजन सुनकर भक्त आत्मसात हो गए।कथा में राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के प्रदेशाध्यक्ष एवम् वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेश मेहता ने मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की । कथा में पुखराज सिंह चौहान एडवोकेट, दिनेश टांटिया एडवोकेट भी विशेष रूप से उपस्थित हुए। सभा के संरक्षक भजन सिंह रावत, ठाकुर सिंह रावत, दुर्गा सिंह रावत, हरि सिंह भंडारी, प्रधान आनंद सिंह रावत, वीरेन्द्र सिंह रावत, युद्धवीर शर्मा, महेश शर्मा, चन्द्र सिंह, दीप सिंह नेगी, दरबान सिंह, सुरेन्द्र डोगरा, हीरा सिंह रावत बलवंत रावत, रजत सिंह रावत, गोबिंद सावंत, पान सिंह, ओम प्रकाश भट्ट, भूपेन्द्र सिंह सहित तमाम पदाधिकारियों ने भूपेश मेहता का गर्मजोशी से स्वागत किया । इस अवसर पर भूपेश मेहता ने कथा वाचक आचार्य ओमप्रकाश ध्यानी जी को सम्मान की प्रतीक पगड़ी पहनाई और आशीर्वाद लिया । इस दौरान उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए भूपेश मेहता ने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक-एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है । अंत में सभा के पदाधिकारियों ने मुख्यातिथि भूपेश मेहता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया ।




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