(सिरसा)यज्ञ भारत की सांस्कृतिक धरोहर है: स्वामी उमेशानंद

  • 16-Sep-25 12:00 AM

कथा की समापन पर हवन यज्ञ पूजन आयोजितसिरसा 16 सितंबर (आरएनएस)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने आशुतोष महाराज (प्रमुख एवं संस्थापक, डीजेजेएस) के सान्निध्य में 8 सितंबर से 14 सितंबर तक अनाज मंडी शेड नंबर 1 सिरसा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भावपूर्ण समापन किया। इस कार्यक्रम में आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती द्वारा भगवान श्री कृष्ण जी की लीलाओं को सुनने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए। संस्थान की संगीतमय टीम ने मधुर आध्यात्मिक भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस भव्य कथा की समाप्ति भी भव्य तरीके से की गयी। कथा की समाप्ति पर 15 सितंबर को हवन यज्ञ का विशेष आयोजन हुआ। इस हवन यज्ञ में मुख्य अतिथिगणों, डीजेजेएस के संत समाज और अनेकों प्रभु भक्तों ने भाग लिया। भक्तों ने अपने विकारों रूपी आहुति को इस महायज्ञ में डालकर स्वाहा किया और सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण किया। यह यज्ञ आशुतोष महाराज के जागृत ब्रह्मज्ञानी शिष्यों द्वारा किया गया। महाराज जी के समर्पित शिष्यों द्वारा पवित्र यज्ञ अग्नि के साथ वैदिक मंत्रों के उच्चारण से एक शांत वातावरण बना।इस विशेष यज्ञ के महत्व को बताते हुए संस्थान से स्वामी उमेशानंद ने कहा कि यज्ञ भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। इस धरोहर को समाज में संजोए रखने और जन-जन तक पहुंचाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा समय पर यज्ञ पूजन किए जाते हैं। एक ब्रह्मज्ञानी शिष्य द्वारा किया गया यज्ञ सार्थक माना जाता है। यज्ञ शब्द यज से लिया गया है, जिसका अर्थ है एकजुट होना और पूजा करना है। हमारे वैदिक साहित्य यानी यजुर्वेद में यज्ञ के महत्व का वर्णन किया गया है। इसका उद्देश्य वांछित शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करना है और साथ ही, हमें एक ऐसी जीवनशैली सिखाना है, जो उच्च मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देती है। उन्होंने बताया कि यज्ञ अग्नि से पवित्र जो धुआं निकलता है, यह आसपास से सभी बुरे प्रभावों एवं नकारात्मकता को मिटा देता है और शांति, खुशी, समृद्धि, संतोष भी लाता है। ये यज्ञ तनाव से मुक्ति, मां प्रकृति का पोषण करने का एक तरीका है और आज की अराजक दुनिया में आशा की किरण के रूप में कार्य करते हैं। इस महायज्ञ में उपस्थित प्रभु भक्तों को धार्मिक प्रवृत्तियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। इस यज्ञ में सभी भक्तों ने कथा के सफलतापूर्वक समापन होने पर ईश्वर का विशेष धन्यवाद किया और आत्मिक शांति की प्रार्थना की।




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