(सिरसा)संवेदनशील समाज निर्माण लेखन का परम् दायित्व का स्वर्ण सिंह विर्क

  • 24-Mar-25 12:00 AM

समतामूलक समाज का सृजन भगत सिंह.पाश सृजन का साँझा सूत्ररू डॉण् हरविंदर सिंह सिरसा शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में हुआ पुस्तक लोकार्पण एवं समीक्षा कार्यक्रम का आयोजन सिरसा 24 मार्च (आरएनएस)। श्साम्प्रदायिक सद्भाव से परिपूर्ण संवेदनशील समाज का निर्माण लेखन का परम् दायित्व है।श् यह विचार प्रतिबद्ध प्रगतिवादी चिंतक काण्स्वर्ण सिंह विर्क ने प्रगतिशील लेखक संघए सिरसा द्वारा शहीद.ए.आज़म भगत सिंहए राजगुरुए सुखदेव एवं युगकवि पाश व हंसराज की शहादत को समर्पित श्पुस्तक लोकापर्ण एवं समीक्षाश् कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए। हरभगवान चावला के उपन्यास श्देख फऱीदा जो थीआश् की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए काण्विर्क ने कहा कि यह उपन्यास विभाजन की त्रासदी का दस्तावेज़ है। इस उपन्यास के माध्यम से न सिर्फ तत्कालीन संकटों को समझने की दृष्टि मिलती है बल्कि वर्तमान समय में उपस्थित चुनौतियों से मुक्ति का रास्ता भी दिखाई देता है। विभाजन.विस्थापन से प्रताडि़त हर समाज के दुख समान हैं। श्देख फऱीदा जो थीआश् उपन्यास में मुल्तान क्षेत्र से विस्थापित बड़े वर्ग के जीवन संघर्ष द्वारा मानव की जिजीविषा को स्थापित किया गया है और कामना की गई है कि संसार के किसी भी क्षेत्र में मनुष्यों को सत्ता प्रायोजित विभाजन के दंश न झेलने पड़ें इस उपन्यास पर आयोजित विमर्श में डॉण् मेघा शर्माए एडवोकेट सुरेश मेहता तथा केयूके स्कॉलर नरेश कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ ;प्रलेसद्ध के राष्ट्रीय अध्यक्षमंडल के सदस्य काण्स्वर्ण सिंह विर्कए राष्ट्रीय सचिवमंडल के सदस्य एवं हरियाणा प्रलेस के महासचिव डॉण् हरविंदर सिंह सिरसाए प्रलेस हरियाणा के उपाध्यक्ष परमानंद शास्त्रीए प्रलेस सिरसा के अध्यक्ष डॉण् गुरप्रीत सिंह सिंधरा व जीएनसी सिरसा से सेवानिवृत्त इतिहास विभागाध्यक्ष डॉण् निर्मल सिंह पर आधारित अध्यक्षमंडल ने की। कार्यक्रम के आरंभ में परमानंद शास्त्री ने अतिथियों व उपस्थितजन का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन प्रलेस सिरसा के सचिव डॉण् शेर चंद ने किया। कुलदीप सिरसाए महक भारती ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए। सुरेश बरनवाल के कहानी संग्रह श्अँधेरे समय के दस्तावेज़श् के लोकापर्ण पश्चात समीक्षा प्रस्तुत करते हुए मक़बूल शायर लाज पुष्प ने कहा कि सुरेश बरनवाल की कहानियाँ गम्भीर विमर्श पैदा करती हैं। सुरेश बरनवाल की कहानियों को पढऩे के बाद पाठक ठीक वैसा नहीं रहता जैसा वह कहानी पढऩे से पहले होता है। यह कहानियाँ पाठक को नई विवेकदृष्टि प्रदान करती हैं व इन कहानियों का कथ्य एवं शिल्प बाकमाल है। कहानी संग्रह पर विमर्श को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ कवि.कथाकार हरभगवान चावला ने कहा कि श्अँधेरे समय के दस्तावेज़श् की तमाम कहानियाँ वैश्विक कहानी के समकक्ष हैं। इन कहानियों की विशेषता यह है कि ये घटनाध् परिघटना के बाद की परिस्थिति से कथ्य ग्रहण करती हैं। सुरेश बरनवाल की कहानियों को पढ़ते हुए पाठक के भीतर पहले करुणा उतरती हैए फिर उत्तेजना और तत्पश्चात विश्व मानवतावाद की अदमनीय कामना। इस अवसर पर डाण् निर्मल सिंह ने भी शहीदी दिवस एवं साहित्य सृजन के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉण् हरविंदर सिंह सिरसा ने शहीद.ए.आज़म भगत सिंहए सुखदेवए राजगुरुए युगकवि पाश एवं हंस राज का स्मरण करते हुए कहा कि अमानवीय मूल्यों से मुक्ति और समतामूलक समाज का निर्माण शहीद भगत सिंह और युगकवि पाश की रचनाओं का साँझा सूत्र है। वे इस तथ्य से भी भली.भांति परिचित थे कि समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के बिना समतामूलक समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता। इन नायकों के सपनों जैसा समाज बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प ही इन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि प्रोण् हरभगवान चावला का उपन्यास श्देख फऱीदा जो थीआश् तथा सुरेश बरनवाल का कहानी संग्रह श्अँधेरे समय के दस्तावेज़श् इन शहीदों के सपनों के समाज का सृजन करने हेतु वैचारिक विमर्श पैदा करने वाली रचनाएँ हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रगतिशील लेखक संघएसिरसा के अध्यक्ष डॉ गुरप्रीत सिंधरा ने सभी अतिथियोए वक्ताओंए लेखकों तथा श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रोण् अशोक कुमार गंडाए प्रोण् जसबीर सिंह भारतए डॉण् हरविंदर कौरए एडवोकेट बलबीर कौर गांधीए सुरीना सैनीए दिव्या सांवरियाए मुस्कानए सिमरनए तेजेन्द्र लोहियाए प्रवीण बागलाए ज्ञान प्रकाश पीयूषए जनकराज शर्माए राज कुमार निजातए शील कौशिकए मेजर शक्तिराज कौशिकए हरीश सेठीए पवन कुमार गुप्ताए विशाल वत्सए राज वर्माए अंशुल छत्रपतिए एडवोकेट लेखराज ढोटए राजेन्द्र ढाबांए डॉण् प्रेम कंबोजए काण् राज कुमार शेखूपुरियाए हमजिन्दर सिद्धूए काण् तिलक राज विनायकए काण् जगरूप सिंह चौबुर्जाए बूटा सिंहए अमरचंद चावलाए ललिता चावलाए अनुमेहाए सुरेंद्र.वीनाए एडवोकेट कृष्ण सुखीजाए कालू राम तिवारीए मांगे राम भारतीयए अनीश कुमारए सुशील पुरीए सुरजीत सिरड़ीए रमेश शास्त्रीए सुरजीत रेणुए नवनीत रेणुए हरमीत सिंह इत्यादि समेत विशाल संख्या में प्रबुद्धजन ने अपनी उपस्थिति दजऱ् करवाई।सिरसाए 24 मार्च फोटो 06




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