(सिरसा) मानव कल्याण हेतु ज्ञान अर्जन अनिवार्य शतर्: अतरजीत

  • 27-Mar-24 12:00 AM

सिरसा 27 मार्च (आरएनएस)। ज्ञान के हथियार से ही मानव मुक्ति के संघर्ष में सफ़लता अर्जित की जा सकती है और इसके लिए शब्द की साधना अनिवार्य है। यह विचार प्रख्यात पंजाबी लेखक अतरजीत ने सिरसा जिला के गाँव जीवन नगर में स्थित श्री गुरु हरी सिंह कॉलेज में अपने नवसृजत ऐतिहासिक पंजाबी उपन्यास अब जूझण को दाओÓ पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्यातिथि के तौर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए। इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कॉलेज की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गुरमीत सिंह वड़ैच एडवोकेट, सचिव गुरचरण सिंह धालीवाल, प्राचार्य डा. के एल ग्रोवर, का. जरनैल सिंह खोखर, का. स्वर्ण सिंह विर्क, जसपाल मानखेड़ा व डा. हरविंदर सिंह सिरसा पर आधारित अध्यक्ष मंडल ने की। कूका आंदोलन के प्रमुख सदगुरु राम सिंह जी, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व जनकवि पाश को समर्पित इस कार्यक्रम का आगाज़ गुरमीत सिंह वड़ैच द्वारा सभी अतिथिगण व उपस्थितजन के स्वागत उपरान्त अमृतपाल बंगे द्वारा एक इंकलाबी गीत की ख़ूबसूरत प्रस्तुति से हुआ। विचार गोष्ठी में का. स्वर्ण सिंह विर्क ने अब जूझण को दाओÓ उपन्यास के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि यह उपन्यास पंजाब में ख़ालसा राज के समापन से लेकर वर्तमान किसान आंदोलन तक की तमाम परिस्थितियों का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जिसका पठन हर व्यक्ति के लिए लाभप्रद है। वरिष्ठ लेखक जसपाल मानखेड़ा ने इस उपन्यास को पंजाबी ऐतिहासिक उपन्यासों की श्रेणी में मील पत्थर बताते हुए कहा कि यह अतरजीत की विलक्षण साधना का अहम प्रतिफल है। डा. हरविंदर सिंह सिरसा ने इस उपन्यास के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपन्यास लगभग एक सौ पचहत्तर वर्षों के मानवीय, राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, आर्थिक परिदृश्य को समेटे हुए है। प्राचार्य डा. के एल ग्रोवर ने सभी अतिथिगण एवं उपस्थितजन के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अमन व डा. हरविंदर सिंह सिरसा ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज के समस्त स्टाफ़ व विद्यार्थियों के अलावा रणबीर राणा, हरभजन सिंह राजा, लखविंदर सिंह बाजवा, पूरन सिंह निराला, डा. गुरप्रीत सिंह सिंधरा, हरजिंदर सिंह भंगु, हरदेव सिंह विर्क, मुख्त्यार सिंह च_ा, बलतेज सिंह, मलकीयत सिंह, सुखदेव सिंह ढोट, रमेश शास्त्री, हरभजन बेदी इत्यादि ने भी अपनी उपस्थिति दजऱ् करवाई।




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