(सीहोर)पितृ पक्ष पर जारी हवन और तर्पण आज किया जाएगा पितृमोक्ष अमावस्या पर प्रसादी का वितरण
- 13-Oct-23 12:00 AM
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सीहोर 13 अक्टूबर (आरएनएस)। हर साल की तरह इस साल भी शहर के सैकड़ा खेड़ी स्थित संकल्प वृद्धा में पितृ पक्ष में हवन और तर्पण संस्कार का आयोजन किया जा रहा है। विगत कई दिनों से आश्रम के संचालक राहुल सिंह के द्वारा ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, मनोज दीक्षित मामा, कुणाल व्यास, उमेश दुबे सहित अन्य के द्वारा नियमित रूप से हवन और तर्पण का आयोजन किया जा रहा है। इसका समापन पितृ मोक्ष अमावस्या पर किया जाएगा। आश्रम के संचालक सिंह ने बताया कि वैसे तो साल भर ही वृद्धजनों को भोजन और स्वास्थ्य सुविधा दी जाती है। पिछले दिनों आश्रम में निवासरत जिन वृद्धजनों का निधन हो गया था उनके लिए आश्रम परिवार में निवासरत वृद्धजनों ने श्रद्धांजली अर्पित की थी।इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे है। यहां पर कुछ लोगों ने पूरा एक दिन का भोजन कराने के लिए दान में रुपए दिए हैं तो किसी ने दोनों समय खाना खिलाने के लिए सामग्री उपलब्ध कराई है। वृद्धाश्रम के प्रभारी का कहना है कि शहर में पितरों को भोजन कराने के लिए लोग पहले से ही निर्धारित तिथि की बुकिंग करा देते हैं, जिस दिन दानदाता की बारी आती है तो वे उस तिथि पर आकर बुजुर्गों को खाना खिलाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। पितृ मोक्ष अमावस्या पर भी यहां पर निवासरत लोगों के द्वारा विशेष हवन का आयोजन किया जाएगा।उन्होंने बताया कि पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है, तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण किया जाता है, तर्पण के लिए कृश, अक्षत और जौ और काला तिल का उपयोग किया जाता है। देव कार्य से बढकऱ पितृ कार्य को श्रेष्ठ माना जाता है। देवी-देवता की पूजा न कर सकें तो कोई बात नहीं, लेकिन अपने पूर्वजों को हमेशा याद रखना चाहिए और उनकी शांति के लिए पूजा करनी चाहिए।पंडित शर्मा के द्वारा आश्रम में पितरों के निमित्त पूजा कर उंगली में कुश धारण किया और पानी भरे परात में जौ, कुश, तिल डालकर पितरों को जल अर्पित किया। पहले दिन उन पितरों के लिए पूजा की गई, जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई है। उन मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए याद किया। दरवाजे पर लोटे में जल, दातून, फूल रखे गए। इसके बाद खीर, पुड़ी, तुरई की सब्जी, बड़ा, जलेबी समेत दूसरे तरह के व्यंजन तैयार किए गए। इसके बाद मान्यता के अनुसार कौआ, कुत्ता, गाय और चींटियों के लिए भोजन निकाला गया और फिर पितरों को अर्पण-तर्पण करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दी गई।
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