(सीहोर)संविधान हत्या दिवस पर जिलेभर में आयोजित किए गए कार्यक्रम

  • 25-Jun-25 12:00 AM

सीहोर 25 जून।(आरएनएस)। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर सीहोर, रेहटी, शाहगंज, लाड़कुई, भैरूंदा सहित जिलेभर में अनेक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में देश में वर्ष 1975 में लगाए गए आपातकाल के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शैक्षणिक संस्थाओं एवं अन्य स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम में सभी को संविधान की रक्षा की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्मित लघु फिल्म दिखाई गई। कार्यक्रमों में वर्ष 1975 में लगाए गए आपातकाल के कारण, दुष्प्रभाव, नागरिक स्वतंत्रता हनन, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन तथा व्यापक उत्पीडऩ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सीहोर में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष नरेश मेवाड़ा, आष्टा विधायक गोपाल सिंह इंजिनियर, नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर, आशोक अडेल, सुरेंद्र मेवाड़ा सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं नागरिक शामिल हुए। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। इसी प्रकार शाहगंज में आयोजित कार्यक्रम में विधायक रमाकांत भार्गव सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं नागरिक शामिल हुए।भारत सरकार के निर्देशानुसार इस संबंध में 25 जून 2025 से एक वर्ष तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने आयोजन के संबंध में निर्देश जारी किये हैं। यह एक वर्षीय अभियान संविधान एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु जन जागरण के प्रति समर्पित रहेगा। भारत में 25 जून 1975 को लागू आपातकाल लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जाता है। इस दौरान केंद्रीय सत्ता द्वारा नागरिक स्वतंत्रता का निलंबन, मौलिक अधिकारों का हनन, संवैधानिक प्रावधानों की उपेक्षा और दमनकारी कार्यवाहियाँ चरम पर थीं। गृह मंत्रालय द्वारा आपातकाल लागू होने की तिथि को संविधान हत्या दिवस के रूप में 11 जुलाई 2024 को अधिसूचित किया गया है।संविधान हत्या दिवस से वर्ष भर होने वाले आयोजनों के अंतर्गत केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित विशेष फिल्मों का प्रदर्शन और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही प्रदेश के सभी जिलों में युवाओं, विद्यार्थियों, प्रबुद्धजनों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से संगोष्ठियाँ, संवाद, निबंध प्रतियोगिता, रैलियां और अन्य गतिविधियां संचालित की जाएंगी। इससे लोकतांत्रिक चेतना का विस्तार हो सकेगा। यह एक वर्षीय आयोजन आपातकाल की ऐतिहासिक त्रासदी की दुखद अनुभूतियों के दृष्टिगत संवैधानिक नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति नवीन प्रतिबद्धता का सशक्त प्रतीक बनेगा।




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