(सीहोर)संसार का हर मनुष्य सदा सर्वदा कर्म में ही लीन होता-कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य

  • 26-Jul-24 12:00 AM

सीहोर 26 जुलाई (आरएनएस)।संसार का हर मनुष्य सदा सर्वदा कर्म में ही लीन होता है और तदानुसार उसे उसका फल भी मिलता रहता है। शिव महापुराण में वर्णन है कि एक बार माता पार्वती ने शिव से कहा कि आप दुख देते है तो भगवान ने कहा कि मैं कभी किसी को दुख नहीं देता, मनुष्य स्वयं अपने कर्मों का फल भोगता है। उक्त बात शहर के पटेल कालोनी में जारी सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के दौरान कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने कही। इस मौके पर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा का प्रसंग के अलावा भगवान राम की महिमा का भी वर्णन किया।उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि संसार मे कर्म ही सब कुछ है, कर्म में ही आपका जीवन है। कर्म के कुछ सिद्धांत हैं जिनका पालन करने से आपके जीवन को दिशा मिलती है। हर सभ्यता और समाज मे समय के अनुसार कर्म के छोटे-बड़े और अच्छे-बुरे की परिभाषा तय की जाती है। आपकी सोच आपके कर्म की पहली सीढ़ी होती है। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि पार्वती जी महादेव को पाने के लिए तप में जुट गई, पार्वती के प्रेम को परखने और उनकी तपस्या भंग करने के लिए शिव जी ने कई प्रयास किए लेकिन देवी का टस से मस नहीं हुई। पार्वती का समर्पण देखकर और संसार की भलाई के लिए शंकर भगवान देवी पार्वती से विवाह के लिए राजी हो गए। पार्वती जी की निष्ठा व कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने विवाह का वचन दिया। जीव जब सच्चे हृदय से प्रार्थना करते हैं, तो भगवान भी उसे सम्यक फल प्रदान करते हैं। भोगी की प्रारंभिक अवस्था सुखमय प्रतीत होती है, किंतु अंत अत्यंत दुखद होता है। इसके ठीक विपरीत योगी की साधना अवस्था कष्टप्रद होती है, किंतु अंत बड़ा सुखद होता है। इसलिए कहा जाता है, अंत भला तो सब भला। शिव-पार्वती विवाह में भूत-प्रेतों को भी शामिल किया गया है, जो शिव की समता का दर्शन कराता है।




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