(सीहोर)सात दिवसीय भागवत कथा में उमड़ा आस्था का सैलाब
- 04-Aug-25 12:00 AM
- 0
- 0
सीहोर 4 अगस्त (आरएनएस)।कुंती ने भगवान कृष्ण से दुख और संकट मांगने का वरदान मांगा था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनका मानना था कि दुख के समय में ही भगवान की याद आती है और वह हमेशा भगवान के साथ रहना चाहती थीं। कुंती ने भगवान से कहाकि जब हमारे पास संकट था तो हम जब भी आपको याद करते थे तब आप तत्काल हमारे साथ रहते थे, लेकिन अब वैभव आते ही सत्ता आते ही आप जा रहे है। हम आपको छोडऩा नहीं चाहते है। कुंती ने कहा कि जब-जब उनके जीवन में दुख आया, भगवान कृष्ण हमेशा उनके साथ रहे, उनकी रक्षा की और मार्गदर्शन किया। इसलिए, वह चाहती थीं कि उनके जीवन में हमेशा दुख और संकट आते रहें ताकि वह भगवान कृष्ण के साथ जुड़ी रहें। उक्त विचार शहर के बस स्टैंड स्थित गीता मानस भवन में कथा के दूसरे दिन कथा वाचक पंडित चेतन उपाध्याय ने कहे।रविवार को कथा के दूसरे दिन सुख-दुख के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहाकि हमें सुख में भगवान को याद करना चाहिए, दुख के समय तो हर व्यक्ति भगवान को याद करता है। मंदिर में हम जाते है तो भगवान से कहते है कि हमें करोड़ों रुपए दे, चार-पांच मकान आदि प्रदान कर, लेकिन कुंती ने सुख आने के बाद भगवान से उनकी निकटता के लिए संकट का वरदान मांगा। महाभारत के प्रसंग के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर राजा बन गए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने तय किया कि अब द्वारका लौटना चाहिए। श्रीकृष्ण सभी से विदा लेने लगे। अंत में वह पांडवों की माता, जो रिश्ते में श्रीकृष्ण की बुआ लगती थीं उनसे विदा लेने गए। तब उन्होंने कुंती से कहा कि आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा, मैं आपको कुछ देना चाहता हूं, इसलिए जो आपके मन में हो वह मांग लीजिए। इस पर कुंती कहती है कि यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो दुख दे दीजिए। इससे भगवान कृष्ण आश्चर्य में पड़ जाते हैं और कुंती से इसका कारण पूछते हैं। ऐसे में इसका कारण समझाते हुए कुंती कहती है कि यह मानव का स्वभाव है कि वह सुख के समय में भगवान को भूल जाता है और केवल दुख के समय में ही भगवान को याद करता है। कुंती आगे कहती है कि आप मुझे केवल दुख में ही याद आते हो। ऐसे में यदि जीवन में दुख रहेगा, तो मैं तुम्हारी भक्ति करती रहूंगी। क्योंकि सुख के दिनों में तो मन भक्ति में लगता ही नहीं है। मैं हर पल तुम्हारा ही ध्यान करना चाहती हूं, इसलिए दुख मांग रही हूं। यह सुनकर श्रीकृष्ण काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कुंती को उसकी इच्छा के अनुसार ही दुख का वरदान दे दिया।
Related Articles
Comments
- No Comments...