(सीहोर)सीवन नदी पर जल गंगा संवर्धन अभियान का शुभारंभ
- 31-Mar-25 12:00 AM
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सीहोर 31 मार्च (आरएनएस)। रविवार को सीवन नदी पर जल गंगा संवर्धन अभियान का शुभारंभ हो गया है। इसको लेकर नगर पालिका, प्रशासन, सीवन नदी उद्धार समिति के अलावा बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी इस अभियान में अपनी भागीदारी दे रहे है। नगर पालिका ने इसके गहरीकरण और सौंदर्यीकरण को लेकर करीब 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी सरकार को भेजा है। जिससे आने वाले समय में जीवनदायनी सीवन नदी पानी से सराबोर रहेगी। अभियान की शुरूआत प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर, राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश मेवाड़ा, नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि सुरेन्द्र मेवाड़ा, भाजपा नेता सन्नी महाजन, कलेक्टर बाला गुरु, पुलिस अधीक्षक दीपक शुक्ला, सीवन उद्धार समिति के अध्यक्ष डॉ. गगन नामदेव सहित पार्षद, क्षेत्रवासी और अनेक जनप्रतियोगितों ने अभियान की शुरूआत की। नगर पालिका के अमले ने आधुनिक मशीन जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्राली से सीवन में जमा मलबे के ढेर को हटाया।शहर का विकास निरंतर चले और क्षेत्रवासियों को पेयजल की दिक्कत नहीं हो इसके लिए नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने कहा कि प्रदेश सरकार का जल गंगा संवर्धन अभियान शहर का भविष्य है, शहर को सुंदर रखना हमारी जिम्मेदारी है। इस अभियान से आधुनिक मशीनों के साथ ही नदी के गहरीकरण का कार्य शुरू हो गया है। जेसीबी और पोकलेन मशीन के द्वारा बड़ी संख्या में डंपर, ट्रैक्टर-ट्रॉली से सीवन नदी का मलबा हटाया जाना है, नगर पालिका परिषद ने सीवन के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए करीब 25 करोड़ों रुपए की योजना बनाई है। सीवन नदी के गहरीकरण की शुरूआत कराई गई।प्रभारी मंत्री गौर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों के जन-प्रतिनिधियों से 30 मार्च से 30 जून तक चलने वाले जल गंगा संवर्धन अभियान में अधिक से अधिक नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित किये जाने की अपील की है। जल-स्रोतों के संरक्षण का दायित्व सरकार के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक का भी है। उन्होंने इस अभियान में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये महिला जन-प्रतिनिधियों से विशेष आग्रह किया है।जल संरक्षण के कार्यों में धन की कमी को आड़े नहीं आने दिया जायेगा। जल संरचनाओं में मिलने वाले गंदे पानी के नालों को स्वच्छ भारत मिशन-2.0 के अंतर्गत लिक्विड बेस्ट मैनेजमेंट परियोजना के माध्यम से डायवर्सन के बाद शोधित कर जल संरचनाओं में छोड़ा जाये। पेयजल सुविधा के लिये शहर के मुख्य स्थानों पर प्याऊ की व्यवस्था की जाये। नगरीय क्षेत्र की कॉलोनी में रैन-वॉटर हॉर्वेस्टिंग प्रणाली को स्थापित किया जाये। घरों और सार्वजनिक स्थानों पर उपयोग किये जा रहे पानी के अपव्यय को रोकने के लिये लीकेज सुधारने की व्यवस्था की जाये। नगरीय निकायों को उक्त निर्देशों के साथ हरित क्षेत्र (ग्रीन बेल्ट) बनाये जाने के लिये भी कहा गया है। जल संरचनाओं के गहरीकरण के दौरान निकलने वाली मिट्टी को किसानों को दिये जाने के लिये कहा गया है। प्रत्येक नगरीय निकाय को जलदूत, जल मित्र और अमृत मित्र तैयार किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। नगरीय निकायों द्वारा कार्यक्रम की मॉनीटरिंग के लिये माय भारत पोर्टल का उपयोग किया जायेगा।
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