(सीहोर) कुबेरेश्वरधाम पर रविवार को सवा लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया बाबा अभिषेक

  • 27-Jul-25 12:00 AM

सीहोर, 27 जुलाई (आरएनएस)। देश-विदेश में करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह का प्रतीक कुबेरेश्वरधाम सावन के पावन माह में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है और यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु कांवड लेकर आ रहे है। रविवार को करीब सवा लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा का अभिषेक किया, वहीं शहर के सीवन घाट से सुबह सात बजे कुबेरेश्वरधाम परिवार की ओर से कांवड निकाली गई थी, जिसमें शहर सहित आस-पास के बड़ी संख्या में कांवड यात्री शामिल थे।कुबेरेश्वरधाम से निकाली गई कांवड यात्रा में विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा, व्यवस्थापक समीर शुक्ला और आशीष वर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे। करीब दो घंटे तक पैदल निकले कांवडियों का धाम पर अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने सम्मान किया। उन्होंने कहाकि सावन में भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्त की बाबा मनोकामनाएं पूर्ण करता है। कांवड यात्रा में आपके पैर नहीं आपका विश्वास, आपका उत्साह चलता है। करीब 11 किलोमीटर दूर पैदल बारिश की बौछारों के मध्य अन्य कठिनाईयों का सामना करते हुए आप धाम पर आए है, हमें पूरा विश्वास और भरोसा है बाबा अपना आशीर्वाद अवश्य देगा।विठलेश सेवा समिति के सेवादार मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री मिश्रा ने सिद्धपुर की धरा को महातीर्थ बना दिया है, कुबेरेश्वरधाम आस्था, उत्साह और समर्पण का महासंगम है और प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु धाम पर आ रहे है। जिससे शहर में महाकुंभ के दर्शन हो रहे है। उन्होंने बताया कि सीवन नदी के तट से सामान्य कांवड के अलावा, डाक कांवड, दंडवत करते हुए श्रद्धालु भगवान भोले के जयकारों के साथ पहुंच रहे है। रविवार को डाक कांवड के रूप में उत्तरप्रदेश के दो दर्जन से अधिक युवा सीवन नदी के तट से दौड़ते हुए डाक कांवड ले जा रहे थे, आयुष यादव ने बताया कि वह लगातार कई सालों से डाक कांवड लेकर जाते है। धर्म के पथिकों की दौड़ है डाक कांवड़। यह सिर्फ तेज गति से चलने का नाम नहीं है। यह जीवन के क्षण-क्षण को आराधना बना देने की प्रक्रिया है। बिना थके बिना रुके शिव की ओर पहुंचने की भक्ति की दौड़। इसमें आत्मा दौड़ती है। न आंखों में नींद न पैरों में विराम। केवल एक धुन एक लगन शिवालय तक पहुंचना है और शीघ्र पहुंचना है।उन्होंने बताया कि डाक कांवड़ के एक ग्रुप में लगभग 20 से 25 युवा कांवडिय़े होते हैं। पवित्र गंगाजल भरने के बाद डाक कांवड लेकर अपनी बारी-बारी से दौड़ लगाते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। हर कांवडिय़े के हिस्से में एक बार 100 से 150 मीटर तक की दौड़ आती है। प्रत्येक कांवडिय़े के हिस्से में 18 से 22 किमी आते हैं। ध्यान रखना होता है कि कांवड़ खंडि़त न होने पाए।




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