
(सुकमा) एग्रीस्टैक पंजीयन-किसानों के लिए डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में जिला प्रशासन की बड़ी पहल
- 14-Oct-25 12:37 PM
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0 सीएचसी सेंटर के माध्यम से किसानों का किया जा रहा पंजीयन
0 धान विक्रय हेतु पंजीयन अनिवार्य
सुकमा, 14 अक्टूबर (आरएनएस)। किसानों के जीवन में तकनीकी बदलाव लाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार और सुकमा प्रशासन ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के मार्गदर्शन में जिले में एग्रीस्टैक पोर्टल को तेजी से लागू किया जा रहा है। यह पहल न केवल कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रही है, बल्कि किसानों को योजनाओं का सीधा और पारदर्शी लाभ भी सुनिश्चित कर रही है। सीएचसी के माध्यम से लगातार किसानों का एग्रीस्टेक पंजीयन कार्य किया जा रहा है।
क्या है एग्रीस्टैक पोर्टल?
एग्रीस्टैक एक सुरक्षित डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफॉर्म है, जिसमें किसान की पहचान, भूमि अभिलेख, फसल विवरण और कृषि संबंधी गतिविधियों का पूरा डेटा एक ही स्थान पर सुरक्षित रूप से दर्ज किया जाता है। यह सिस्टम पूरी तरह डेटा गोपनीयता पर आधारित है — किसान की सहमति के बिना कोई भी जानकारी साझा नहीं की जाती।
धान विक्रय के लिए अनिवार्य पंजीयन
इस वर्ष सहकारी समितियों के माध्यम से धान विक्रय करने वाले किसानों के लिए एग्रीस्टैक पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य किया गया है। इस व्यवस्था से अब हर किसान का डेटा डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लाभ सीधे किसान के खाते तक पहुंच सकेगा।
सुकमा जिले में किसानों का बढ़ता जुड़ाव
सुकमा जिले के हजारों किसान अब एग्रीस्टैक पोर्टल से जुड़ रहे हैं। प्रशासन द्वारा ग्राम स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि हर पात्र किसान पंजीकृत हो सके। यह पहल किसानों को योजनाओं की सटीक जानकारी और समय पर सहायता दिलाने में मील का पत्थर साबित हो रही है।
सरल, नि:शुल्क और पारदर्शी प्रक्रिया
किसानों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह निशुल्क और सरल है। किसान अपने आधार कार्ड और ऋण पुस्तिका के साथ कॉमन सर्विस सेंटर (ष्टस्ष्ट) या सहकारी समिति कार्यालय में जाकर कुछ ही मिनटों में पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीयन के बाद किसान को एक डिजिटल कृषि पहचान प्राप्त होती है, जो भविष्य की सभी योजनाओं का आधार बनेगी।
डिजिटल खेती, समृद्ध किसान
एग्रीस्टैक पोर्टल के माध्यम से अब किसानों को सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और सहायता राशि की जानकारी सीधे प्राप्त हो रही है। इससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो रही है और लाभ वितरण की गति तेज हो रही है।
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