
(सुकमा) कृषि चौपाल के आठवें एपिसोड में समेकित नाशीजीव प्रबंधन पर हुई विशेषज्ञों की अहम चर्चा
- 13-Jul-25 02:05 AM
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सुकमा, 13 जुलाई (आरएनएस)। कृषि जगत में किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों से जोडऩे की दिशा में एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका कृषि चौपाल अब ग्रामीण भारत में जागरूकता का प्रतीक बनता जा रहा है। इसी श्रृंखला का आठवां एपिसोड कृषि विज्ञान केंद्र, सुकमा में 12 जुलाई शनिवार को लाइव प्रसारण किया गया, जिसमें समेकित नाशीजीव प्रबंधन (ढ्ढठ्ठह्लद्गद्दह्म्ड्डह्लद्गस्र क्कद्गह्यह्ल रूड्डठ्ठड्डद्दद्गद्वद्गठ्ठह्ल - ढ्ढक्करू) विषय पर केंद्रित विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यक्रम का आयोजन कृषि मंत्रालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ढ्ढष्ट्रक्र) के सहयोग से किया गया, जिसे देशभर के हज़ारों किसानों ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से देखा। एपिसोड का उद्देश्य किसानों को आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल और दीर्घकालिक कीट नियंत्रण उपायों के प्रति जागरूक करना था।
आईपीएम : कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने की दिशा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए वैज्ञानिकों ने समेकित नाशीजीव प्रबंधन की अवधारणा को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि ढ्ढक्करू एक बहुआयामी पद्धति है जिसमें यांत्रिक, सांस्कृतिक, जैविक और रासायनिक नियंत्रण उपायों को मिलाकर उपयोग किया जाता है, जिससे नाशीजीवों पर प्रभावी नियंत्रण तो होता है, लेकिन पर्यावरण व पारिस्थितिकी संतुलन बना रहता है। हमारा उद्देश्य कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को रोकते हुए फसल की गुणवत्ता और किसान की आय को सुरक्षित रखना है। ढ्ढक्करू न केवल टिकाऊ खेती को बढ़ावा देता है, बल्कि मिट्टी और जल को भी प्रदूषित होने से बचाता है। वैज्ञानिक ने राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (हृक्कस्स्) ऐप के बारे मै बताया की यह भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य कीट व रोगो की समय पर पहचान, खरपतवार की पहचान, फसल नुकसान की रोकथाम, रोग और कीट प्रसार की मैपिंग व किसानो को जागरूकता लाने मै मदद करता है।
किसान-हित में उपयोगी सुझाव
एपिसोड में धान, गन्ना, कपास,मक्का, अरहर और सब्जियों की फसलों में आम तौर पर पाए जाने वाले कीटों जैसे कि सफेद मक्खी, तना छेदक, पत्ति मोड़क, थ्रिप्स, माहू और मिली बग पर नियंत्रण के उपाय बताए गए। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे किसान लाइट ट्रैप, फेरोमोन ट्रैप, पीले चिपचिपे कार्ड, नीम तेल, ट्राइकोग्रामा, ट्राइको काड जैसे जैव नियंत्रक और फसल चक्र जैसे उपायों पर विशेष जोर दिया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र से वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख श्री एच.एस तोमर, पौध रोग विशेषज्ञ श्री राजेन्द्र प्रसाद कश्यप कीट वैज्ञानिक डॉ योगेश कुमार सिदार, मछली पालन विशेषज्ञ डॉ संजय सिंह राठौर व गुलशन सहित 22 किसान उपस्थित हुए।
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