(सुकमा )नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास की नई इबारत

  • 17-Sep-25 12:33 PM

सुरक्षित छत, सम्मानपूर्ण जीवन-आत्मसमर्पित परिवार को मिला प्रधानमंत्री आवास का लाभ
  सुकमा  17 सितंबर आरएनएस)। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत "विशेष परियोजना" के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्र में निवासरत आत्मसमर्पित हितग्राही श्रीमती सोड़ी बुधरी के जीवन में नया संबल और सुरक्षा का एहसास आया है। कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव के मार्गदर्शन में जनपद पंचायत कोन्टा के ग्राम चिचोरगुड़ा, ग्राम पंचायत सामसट्टी में श्रीमती बुधरी का पक्का आवास स्वीकृत हुआ, जिससे उनके परिवार का जीवनस्तर बेहतर हुआ है।ग्राम पंचायत सामसट्टी पहाड़ी, घने जंगलों से घिरा संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ कच्चे मकान में रहने से हर समय सांप, बिच्छू जैसे जीव-जन्तुओं का खतरा बना रहता था। बदलते मौसम और असुरक्षित परिस्थितियों ने जीवन को कठिन बना दिया था। श्रीमती सोड़ी बुधरी ने बताया कि हम पूर्व में नक्सल गतिविधियों में शामिल थे। उस जीवन में न भोजन की सुरक्षा थी, न आश्रय, न भविष्य की कोई उम्मीद। आत्मसमर्पण के बाद शासन ने न केवल हमें सम्मान दिया, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान देकर जीवन में स्थिरता और खुशहाली दी।प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत कुल 1,43,085 रुपये की राशि प्रदान की गई, जिसमें 1,20,000 रुपये आवास निर्माण हेतु तथा मनरेगा के तहत 90 दिनों की मजदूरी के रूप में 23,085 रुपये शामिल हैं। पति-पत्नी ने स्वयं श्रमदान कर अपने घर का निर्माण पूर्ण किया। आज उनका घर न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर जीवन की नई शुरुआत भी है।श्रीमती बुधरी ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय तथा जिला प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, यह घर केवल ईंट-पत्थर का ढाँचा नहीं है, यह हमारी नई जि़ंदगी है। अब हमें सुरक्षित छत मिली है, बच्चों का भविष्य बेहतर होगा और हम सपरिवार समाज में सम्मान से जी सकते हैं।जिला सीईओ श्री मुकुन्द ठाकुर ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण करने वाले नागरिकों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩा हमारा दायित्व है। प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी हितग्राहीमूलक योजनाएँ उन्हें सुरक्षा, सम्मान और विकास का अवसर प्रदान कर रही हैं। हम सभी आत्मसमर्पित और नक्सल पीडि़त परिवारों तक शासकीय योजनाओं का लाभ पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment