(सुलतानपुर)कुड़वार में दस दिवसीय भव्य रामलीला का हुआ समापन

  • 03-Oct-25 12:00 AM

कुड़वार/सुल्तानपुर 3 अक्टूबर (आरएनएस )। ग्राम सभा कुड़वार में शुक्रवार की रात दस दिवसीय भव्य रामलीला का विधिवत समापन हुआ। वर्षों बाद कुड़वार की पावन धरती पर जय श्रीराम के गगनभेदी नारे गूंजे तो पूरा क्षेत्र धर्म, भक्ति और आनंद की भावना से सराबोर हो उठा।कुड़वार में रामलीला का आयोजन कोई नया नहीं, बल्कि यह परंपरा कई दशकों पुरानी है। किंतु समय के साथ बदलते हालातों और कुछ कारणों से यह आयोजन लगभग पंद्रह वर्षों से ठप पड़ा हुआ था। विशेष बात यह रही कि ग्राम सभा की अपनी रामलीला भूमि होने के बावजूद अब तक आयोजन पंचायत भवन में ही किया जाता रहा, क्योंकि उक्त भूमि पर लंबे समय से कुछ प्रभावशाली लोगों ने कब्जा जमा रखा था। स्थानीय युवा दीपक तिवारी पुत्र स्व. अवधेश तिवारी को जब इस बात का बोध हुआ कि प्रभु श्रीराम की लीला भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है और परंपरा दम तोड़ चुकी है, तब उन्होंने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। राम नाम की प्रेरणा से ओतप्रोत होकर दीपक तिवारी ने न केवल जनसहयोग जुटाया बल्कि प्रशासन से संपर्क साधकर अथक प्रयासों के बाद अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराया। भूमि मुक्त होते ही दीपक तिवारी ने उसी ऐतिहासिक मैदान पर दस दिवसीय भव्य रामलीला आयोजन का बीड़ा उठाया। इस आयोजन में राम जन्म से लेकर रावण वध और श्रीराम के राज्याभिषेक तक की लीलाएं इतनी भक्ति और भव्यता के साथ प्रस्तुत की गईं कि हर दर्शक मंत्रमुग्ध रह गया। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं ने लीला स्थल पर पहुंचकर प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी के स्वरूपों के दर्शन किए।पूरे आयोजन के दौरान मंचन में स्थानीय कलाकारों ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। अंतिम दिन जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया और जयघोष के साथ पुष्प वर्षा हुई, तो पूरा क्षेत्र जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा। इस पुनर्जीवित परंपरा के लिए दीपक तिवारी की सराहना पूरे क्षेत्र में हो रही है। ग्रामीणों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक संगठनों ने उन्हें कुड़वार की संस्कृति को पुनर्जीवित करने वाला धर्मनायक कहा है। ग्रामीणों का मानना है कि दीपक तिवारी ने न केवल अतिक्रमण से भूमि मुक्त कराई, बल्कि धर्म और संस्कृति की जड़ें फिर से मजबूत की हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐसे प्रयासों से गांव की पहचान पुन: स्थापित होती है। आने वाली पीढिय़ों के लिए यह प्रेरणास्रोत रहेगा। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दीपक तिवारी को बधाई देते हुए भविष्य में भी ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों को जारी रखने की अपील की।




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