(सुलतानपुर)गौसुल आज़म के उर्स की महफिल में झूम उठे जायरीन
- 10-Oct-25 12:00 AM
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कव्वालों के कलाम से गूंजा गौसाबाद, हिंदूदृमुस्लिम एकता की मिसाल बनी दरगाहगोसाईंगंज-सुलतानपुर 10 अक्टूबर (आरएनएस )। गौसाबाद स्थित प्रसिद्ध दरगाह गौसुल आज़म पर आयोजित 75वें उर्स का पांचवां दिन पूरी तरह सूफी रंग में डूबा रहा। मंगलवार की रात महफि़ले मुबारकबाद के आयोजन में देशभर से आए कव्वालों ने ऐसी प्रस्तुतियां दीं कि जायरीन देर रात तक झूमते रहे। जैसे ही कव्वालों ने अपने कलाम पेश किए, पूरा परिसर जि़ंदाबाद ए गौसे आज़म, शाने कुदरत जि़ंदाबाद के नारों से गूंज उठा। देवा शरीफ के मशहूर कव्वाल सहवेज वारसी देवा ने अपने बेहतरीन कलाम से लोगों के दिल जीत लिए, वहीं कौनेन वारसी ने महफिले शहाना मुबारकबाद पेश कर समा बांध दिया। सूफी संगीत की यह जादुई रात हिंदूदृमुस्लिम एकता की मिसाल पेश करती नजर आई, जहाँ दूरदृदराज़ से आए जायरीन ने एक साथ दरगाह परिसर में दुआएँ मांगीं और आपसी भाईचारे का संदेश दिया। कार्यक्रम के दौरान दरगाह परिसर पूरी तरह रौशनियों से नहाया रहा। जायरीन के स्वागत में कमेटी के सदस्यों ने पूरी व्यवस्था का जिम्मा संभाला। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के चेहरों पर भक्ति और श्रद्धा का भाव साफ झलक रहा था।दरगाह के सज्जादानसी मौलाना मो. नसीमुद्दीन कादिरी ने बताया कि यह उर्स न सिर्फ धार्मिक आयोजन है, बल्कि सामाजिक सौहार्द का प्रतीक भी है। गुरुवार को छठे और अंतिम दिन कुल की रस्म अदा की जाएगी, जिसमें हजारों जायरीन शामिल होंगे।
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