(हरिद्वार)इतिहास देश की सभ्यता और संस्कृति को प्रदर्शित करता है: आचार्य बालकृष्ण
- 12-Oct-23 12:00 AM
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हरिद्वार,12 अक्टूबर (आरएनएस)।पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सभागार में कालगणना के आधार पर इतिहास का पुनर्विवेचन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि इतिहास पुनर्लेखन समिति उत्तर प्रदेश सरकार के सदस्य डॉ. चन्द्रशेखर शास्त्री रहे। कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि किसी भी देश का इतिहास उसकी सभ्यता, संस्कृति,उत्कृष्टता व भव्यता को प्रदर्शित करने का माध्यम है। प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाओं को इतिहास में संजोकर भविष्य में उसकी मिसाल दी जाती है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा अंग्रेज हुकमरानों तथा मुगल शासकों का निरर्थक गुणगान किया गया है। जबकि देश के क्रांतिकारियों, बलिदानियों तथा वीर-वीरांगनाओं के त्याग, बलिदान व समर्पण को इतिहास में कहीं स्थान ही नहीं दिया गया। डॉ. चन्द्रशेखर शास्त्री ने मानव सभ्यता की प्राचीनता भाषा और ताम्रपत्र के प्रमाण विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पिछली कुछ शताब्दियों में लम्बे कालखण्ड के इतिहास तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। वर्तमान समय की आवश्यकता है कि इतिहास की पुनर्विवेचना कर इसमें यथोचित संशोधन किया जाए। डॉ. राजा जितेन्द्र कुमार सिंह ने कालगणना के आधार पर पुराणेतिहास के वंशानुक्रम की प्राचीनता पर प्रकाश डाला। सेवानिवृत्त अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. अरुण उपाध्याय ने वेद से लिपि की उत्पत्ति तथा वर्गीकरण अक्षर रूपों का काल निर्णय विषय पर चर्चा की। सायंकालीन सत्र में डॉ. धर्मवीर शर्मा, डॉ. देवेश शर्मा, डॉ. अरुण कुमार प्रकाश, डॉ. विवेक भटनागर, डॉ. रवि शंकर गिग्यासा ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का सफल संचालन पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्या ने किया। डॉ. रश्मि मित्तल का कार्यशाला में विशेष सहयोग रहा।
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