(हिमाचल) कारगिल युद्ध में कांगड़ा से शहीद हुए हैं ये 15 योद्धा, सेना में कोटा फिर भी कम

  • 26-Jul-24 12:00 AM

पालमपुर26 जुलाई (आरएनएस)। पहाड़ी वीरता ने सेना में दम दिखाया है परंतु सेना में फिर भी पहाड़ का कोटा कम है। वर्ष 1982 से पूर्व हिमाचल (॥द्बद्वड्डष्द्धड्डद्य) से सेना भर्ती कोट 2.23 प्रतिशत था, जिसे बाद में जनसंख्या के आधार पर घटाकर .06 प्रतिशत कर दिया गया। वर्तमान में हिमाचली गबरूओं के लिए डोगरा रेजीमेंट में ही सबसे अधिक भर्ती प्रतिशत है।देशभर के विभिन्न राज्यों के नाम पर सेना में रेजीमेंट हैं। हिमाचल या हिमालय क्षेत्र के लिए अलग रेजीमेंट की मांग को लगातार अनसुना किया जा रहा है। देश में डोगरा रेजीमेंट की स्थापना 1945-46 में हुई। रैजीमेंट में प्रदेश के 75 प्रतिशत सैनिक हैं। युद्ध के समय डोगरा रेजीमेंट के बीर जय ज्वाला मां का उद्घोष करते हैं। मेजर सोमनाथ स्वतंत्र भारत के प्रथम परमवीर चक्र विजेता हैं तो पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा, धर्मशाला के लैफ्टिनेंट कर्नल डी. एस. थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार समेत प्रदेश के चार वीरों ने परमवीर चक्र से सम्मानित है वो शहीद मेजर की आवाज में वीरता सम्मान अशोक चक्र प्राप्त है। वहीं सेना के विभिन्न अंगों में कार्यरत रहे प्रदेश से संबंधित वीर जवानों ने लगभग 1200 से अधिक बीरता सम्मान प्राप्त किए हैं यही कारण है की सेना से मिलने वाला औसतन प्रत्येक 10वां वीरता सम्मान हिमाचली रणबांकुरे के कंधे पर सजता है।हिमालय रैजीमेंट के आड़े आए नियमप्रदेश के थलसेना, पायुसेना और नौसेना तीनो अंगों में सवा लाख से - अधिक जयान सेवाएं दे रहे हैं और इतने ही सैनिक देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त होकर घर आ चुके है। देशभर के विभिन्न राज्यों के नाम पर सेना में रेजीमेंट है। हिमाचल या हिमालय क्षेत्र के लिए अलग रैजोमैट की मांग के आहे अब नियम आ गए है। नियमानुसार अब किसी चर्म, जाति या क्षेत्र के नाम पर रेजीमेंट का गठन नहीं किया जा सकता है। यद्यपि एक अन्य हिमालय क्षेत्र के राज्य निधन उत्तराखंड को ही लेतो कुमाऊ और गढ़वाल नाम से दो आर्मी रेजीमैट है। हरियाणा में जाट और राजपूताना नाम से सेना की दो रैजीमैट्स है। परंतु सबसे अधिक बहादुरी पुरस्कार जीतने वाले सैनिकों के राज्य की एक भी नहीं।




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