ईपीएफओ ने पीएफ ट्रांसफर नियमों को बनाया बेहद आसान और तेज, घर बैठे होगा सारा काम

  • 28-Apr-25 07:58 AM

नई दिल्ली ,28 अपै्रल। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (श्वक्कस्नह्र) ने नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब एक नौकरी से दूसरी नौकरी बदलने पर प्रोविडेंट फंड (क्कस्न) ट्रांसफर करना और भी आसान और तेज़ हो गया है। श्वक्कस्नह्र ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन करने और सदस्यों की सुविधा बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।
पहले, भविष्य निधि (क्कस्न) ट्रांसफर की प्रक्रिया में दो ईपीएफओ कार्यालयों – स्रोत कार्यालय (जहां से पीएफ ट्रांसफर होना है) और गंतव्य कार्यालय (जहां पीएफ ट्रांसफर होना है) – दोनों की मंजूरी की आवश्यकता होती थी। इससे ट्रांसफर में काफी समय लगता था और सदस्यों को परेशानी होती थी।
मगर, नई व्यवस्था के तहत अब ज्यादातर मामलों में गंतव्य कार्यालय से अनुमोदन लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। श्वक्कस्नह्र द्वारा विकसित किए गए 'रिवैम्प्ड फॉर्म 13 सॉफ्टवेयरÓ के माध्यम से, जैसे ही स्रोत कार्यालय से ट्रांसफर क्लेम स्वीकृत होगा, पुराना पीएफ खाता राशि स्वचालित रूप से सदस्य के मौजूदा खाते में ट्रांसफर हो जाएगी। इस बदलाव से पीएफ ट्रांसफर की प्रक्रिया में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा और ईपीएफओ सदस्यों को सीधा लाभ मिलेगा।
इस नई सुविधा में पीएफ राशि के कर योग्य (ञ्जड्ड&ड्डड्ढद्यद्ग) और गैर-कर योग्य (हृशठ्ठ-ञ्जड्ड&ड्डड्ढद्यद्ग) हिस्से को स्पष्ट रूप से अलग-अलग दिखाया गया है। इससे कर योग्य पीएफ ब्याज पर टीडीएस (ञ्जष्ठस्) की गणना सटीक तरीके से हो सकेगी। अनुमान है कि इस कदम से हर साल लगभग 1.25 करोड़ सदस्यों को फायदा होगा और करीब 90,000 करोड़ रुपये के पीएफ ट्रांसफर को गति मिलेगी।
इसके अलावा, ईपीएफओ ने कुछ विशेष मामलों में, जैसे कि एग्जम्प्टेड ट्रस्ट्स (श्व&द्गद्वश्चह्लद्गस्र ञ्जह्म्ह्वह्यह्लह्य) या अर्ध-न्यायिक/रिकवरी मामलों से जुड़े सदस्यों के लिए, यूएएन (्रहृ) जनरेट करने और पुराने पीएफ फंड को क्रेडिट करने के लिए आधार की अनिवार्यता में भी छूट दी है। अब एक नई सॉफ्टवेयर सुविधा की मदद से मेंबर आईडी और अन्य विवरणों के आधार पर बड़ी संख्या में यूएएन जनरेट किए जा सकते हैं, जिससे शुरुआत में आधार लिंक न होने पर भी फंड्स को तेज़ी से क्रेडिट किया जा सकेगा।
हालांकि, पीएफ राशि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे यूएएन तब तक फ्रीज्ड रहेंगे और उनका इस्तेमाल तभी हो पाएगा जब उन्हें आधार से लिंक कर दिया जाएगा। ईपीएफओ का कहना है कि इन बदलावों से सदस्य सेवाएं और भी बेहतर होंगी, शिकायतों में कमी आएगी और क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया भी काफी सुगम हो जाएगी।
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