कनाडा में सिख पुलिस अफसर आतंकी गतिविधियों में शामिल, भारत ने भगोड़ों की सूची में डाला नाम

  • 19-Oct-24 11:39 AM

कनाडा 19 Oct, /- खालिस्तानी आतंकी (Khalistani terrorist) हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या को लेकर भारत (India) और कनाडा (Canada)के रिश्ते में तनाव आ गया है। इस बीच, नई दिल्ली (New Delhi) ने कनाडाई बॉर्डर सर्विस एजेंसी (CBSA) के अधिकारी संदीप सिंह सिद्धू (Sandeep singh sidhu) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही, उसे निर्वासन के लिए मांगे गए भगोड़े आतंकवादियों (fugitives terrorist) की सूची में शामिल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धू (Sidhu) सीबीएसए (CBSA) का कर्मचारी और प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) का सदस्य है। उस पर पंजाब (Punjab) में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है।

संदीप सिंह सिद्धू (Sandeep singh sidhu) के पाकिस्तान (Pakistan) स्थित खालिस्तान आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे (Lakhbir Singh Rode) और आईएसआई गुर्गों से संबंध रहे हैं। साथ ही, साल 2020 में बलविंदर सिंह संधू (Balwinder Singh Sandhu) की हत्या में उसके शामिल होने का आरोप है। शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू ने पंजाब के विद्रोह के दौरान खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ ऐक्शन लिया। साथ ही, अमेरिका और कनाडा में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के नेतृत्व में खालिस्तान जनमत संग्रह का विरोध का प्रतीक बन गए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दावा किया कि सनी टोरंटो और आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे सहित दूसरे खालिस्तानी गुर्गों ने संधू की हत्या की साजिश रची। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि सनी टोरंटो का ही उपनाम संदीप सिंह सिद्धू है या नहीं।

रिपोर्ट में बताया कि संदीप सिंह सिद्धू को CBSA में सुपरिटेंडेंट के तौर पर प्रमोशन मिला है। अब देखना है कि भारत के ऐक्शन पर कनाडा की ओर से किस तरह की प्रतिक्रिया आती है। दरअसल, खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता को लेकर पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत् जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाए। इसके बाद से ही भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव आ चुका है। निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हालांकि, भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका करार देते हुए खारिज कर दिया था। भारत ने कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम रुख अपनाने को लेकर ट्रूडो सरकार की कई बार आलोचना की है। भारत में खालिस्तानी आंदोलन प्रतिबंधित है लेकिन सिख समुदायों विशेष रूप से कनाडा में उसे समर्थन प्राप्त है।




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