कांग्रेस में आनंद शर्मा के बजाए,शशि थरूर को लेकर हड़कंप
- 23-May-25 12:00 AM
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अजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राजनीति में पक्के हैं क्योंकि कोई भी मौका कांग्रेस को नीचा दिखाने में नहीं चूकते हैं। भारत पाकिस्तान युद्ध या तनाव में भी उन्होंने पूरी कांग्रेस को ताक पर रख दिया। अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष रखने के लिए कांग्रेस ने प्रमुख रूप से पूर्व विदेश मंत्री आनंद शर्मा का नाम दिया था जब सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री श्री किरण जिजउ ने बकायदा कांग्रेस से चार नाम मांगे थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में हारे उम्मीदवार और केरल के नेता , यू एन में सेवा प्रदान कर चुके राज्य सभा सदस्य शशि थरूर को चुना है। इस मामले को लेकर कांग्रेस में हड़कंप मच गया है क्योंकि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य शशि थरूर अब भारत का विदेशों में पक्ष रखने वाले हैं। कहते हैं कि तू डाल डाल मैं पात पात यही हालात हो गया है।लीडर ऑपोजिशन राहुल गांधी बाल नौंच रहे हैं कि करे तो क्या करे । शशि थरूर समझो नींम चढ़ी गिलोरी ,इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अघोषित समन्वय समिति में है।राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़के ने तो आनंद शर्मा का नाम भेजा था लेकिन सरकार ने शशि थरूर को चुना।दरअसल शशि थरूर भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट है। इतना ही नहीं है कि वह विदेशी मामलों के जानकार हैं अलबत्ता वह केरल से आते हैं।केरल में अभी सीपीएम मार्क्सवादी सरकार है, भारतीय जनता पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट जीती है।इस प्रदेश पर भारतीय जनता पार्टी कोई लोकप्रिय नेता बनाना चाहती है जो केरल में 10 से 15 फीसदी मतों का इजाफा कर दे। शशि थरूर दक्षिण भारत के ब्राह्मण हैं। और त्रिशूर से जुड़े हैं। केरल में इसाई धर्म समुदाय भी 49 फीसदी है, मुस्लिम भी बहुत है ।इस ताने वाने में शशि थरूर को केरल भारतीय जनता पार्टी का चेहरा बनाने की आवश्यकता है।जहां तक चयन का प्रश्न है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को ताक पर रख दिया है क्योंकि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़के का सरकार का सहयोग करने का कोई इरादा नहीं है बल्कि युद्ध के बाद राहुल गांधी विदेश मंत्री एस जयशंकर को घेरने में जुटे हैं।एस जयशंकर की गांधी परिवार से पुरानी अदावत है क्योंकि राहुल गांधी की दादी स्व श्रीमती इंदिरा गांधी ने एस जयशंकर के पिता को केबिनेट सचिव नहीं बनाया था जबकि वरिष्ठता में उनका हक था ।
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