कांग्रेस शासन काल में दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आतंकवादी, चरमपंथी संगठन घोषित कराने का प्रयास किया था

  • 07-Aug-25 12:00 AM

अजय दीक्षित2004 से 2014 के काल खंड में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उसकी विचारधारा को मुस्लिम विरोधी आतंकवादी संगठन घोषित कराने के खूब प्रयास किए थे। इन नेताओं में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम, सोनिया गांधी, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, अशोक गहलोत, कमलनाथ सरीखे नेता शामिल थे।इन लोगों ने भाजपा नेता और तत्कालीन एबीवीपी की राष्ट्रीय सचिव प्रज्ञा भारती,उमा भारती, अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जयभान सिंह पवैया, सांसद वीडी शर्मा, लाल कृष्ण आडवाणी, विनय कटिहार,आदि नेताओं को येन केन प्रकरण जेल भेज ने की साजिश की थी । कांग्रेस के नेता और सांसद अहमद पटेल तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निर्देश देते थे कि किसी भी हालत में इन नेताओं के खिलाफ कारवाही की जाय। मालेगांव ब्लास्ट, और गुजरात के गोदारा के बाद दंगों को उपकरण की तरह कांग्रेस सरकार ने इस्तेमाल किया।मालेगांव ब्लास्ट में हाल ही में फैसला आया है कि आरोपी कर्नल पुरोहित, प्रज्ञा भारती के साथ सभी निर्दोष पाए गए हैं प्रज्ञा भारती को तो जेल में इतनी यातनाएं दी गई कि वह हाफिज सईद है । गुजरात दंगों को लेकर तो तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सीबीआई ने घंटों पूछताछ की । यहां तक कि तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह को तो जेल भेज दिया गया था। कांग्रेस शासन में कई एनजीओ खड़े कर दिए जो धन हड़प कर विभिन्न न्यायालय में याचिका दायर कर कहते थे कि गुजरात दंगे भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी सरकार ने कराए हैं।इतना ही नहीं किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिली ।दिल्ली में उस दौरान गुजरात दंगों, फसादों और मालेगांव ब्लास्ट को लेकर पीत पत्रकारिकता भी हो रही थी। दिग्विजय सिंह ने एबटाबाद में मिले अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को महिमा मंडित किया।उस दौर में सोनिया गांधी ही सर्वेसर्वा थी और प्रधानमंत्री स्व मनमोहन सिंह काठ के पुतले थे ।इन दस साल में दिल्ली से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को पूरे देश में बदनाम करने की साजिश रची जा रही थी।यहां तक कि विद्याभारती के शिशु मंदिर,ग्राम भारती के अक्लभ्य विद्यालय भी निशाने पर थे। तत्कालीन समय में न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा था कि भारत में कांग्रेस की सरकार बहुसंख्यक समाज के खिलाफ है।देश चुनी हुई भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली सरकार को भेदभाव का शिकार बनाया गया था। हालांकि मनमोहन सिंह यह सब नहीं चाहते थे लेकिन वह मजबूर थे।केरल, पश्चिमी बंगाल,असम, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर,में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं को घेर घेर कर मारा जा रहा था। वामपंथी विचारधारा के लोग पश्चिमी बंगाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यालयों पर आग लगा कर नष्ट कर देते थे।पी चिदंबरम ने गृह मंत्री रहते जो सलूक तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात के साथ किया वह पूर्ण रूप से नष्ट करने वाला था।2008 में मुंबई हमलों में 250 से अधिक लोग मारे गए तब भी सबूत मिल ने के बाबजूद पाकिस्तान के खिलाफ कोई सार्थक कारवाही नहीं की क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस अपने मुस्लिम वोटर्स को साधना चाहती थी। तीस्ता सीतलवाड़ नामक महिला ने 40 जनहित याचिकाओं के माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को परेशान कर दिया था। तीस्ता सीतलवाड़ की पैरवी कपिल सिब्बल,सरीखे लोग कर रहे थे। अनापशनाप पैसा तथा कथित धर्म निरपेक्षवादियों को दिया जा रहा था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी काग्रेस के इस कृत्य से परेशान थे क्योंकि वह जानते थे कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ राष्ट्रवादी संगठन है और ऐसा सर्वोच्च न्यायालय भी 1992 में एक फैसला में कह चुका है।दिग्विजयसिंह ने कहा कि सरदार पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगाया ये कभी नहीं कहा कि 1962 के युद्ध में संघ की भूमिका को लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संघ को 26 जनवरी की परेड में शामिल किया था।




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