केशवानंद भारती विरुद्ध केरल सरकार 1973 और वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक

  • 23-Apr-25 12:00 AM

अजय दीक्षितकेशवानंद भारती विरुद्ध केरल सरकार 1973 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संसद को कोई भी कानून बनाने से पहले यह कर लेना चाहिए कि वह संविधान में प्रदत मौलिक अधिकार का हनन तो नहीं कर रही है यद्यपि संसद बहुमत से कोई कानून बना सकती है या उसमें आंशिक तौर या पूर्ण परिवर्तन कर सकती है लेकिन अगर यह विषय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचार के लिए लाया जाएगा और मामला यह सिद्ध होगा कि किसी धर्म या व्यक्ति या व्यक्तियों के मौलिक अधिकार का हनन होता है तो उस राष्ट्रपति के आदेश की विवेचना का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को भारत का संविधान अनुच्छेद 51 में देता है और सर्वोच्च न्यायालय उस कानून का समाप्त कर सकता है। यह खतरनाक हथियार अनुच्छेद 141के तहत भारत संघ में है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनगढ़ ने भी इसे 143 धारा को न्यायपालिका और व्यवस्थापिका में घमासान का कारक बताया है और कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर मिले जले नोटो के संबंध में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का क्या कारण है।वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक एकीकृत वक्फ प्रबन्धन शसक्तीकरण दक्षता विकास बिल या कानूनों के दो प्रावधानों को लेकर भारत की न्यायपालिका और व्यवस्थापिका में ठन गई है और मोर्चा संभाला है चीफ़ जस्टिस खन्ना और उपराष्ट्रपति जगदीप धनगढ़ ने। कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा है कि वक्फ माने किसी मुसलमान द्वारा अल्लाह के नाम पर सार्वजनिक रूप दी गई संपत्ति वक्फ कहलाती है और बाय यूजर मुस्लिम धर्म समुदाय इसमें मस्जिद दरगाह, मकबरा, क़ब्रिस्तान,ईदगाह,आदि चल रहा है तो इसे डिनोटिफाइड नहीं किया जाए।इसके अलावा वक्फ बोर्ड चुकीं मुस्लिम लोगों से जुड़ी है तो गैर मुस्लिमों को इन संस्थाओं से न जोड़ा जाए।जबकि उम्मीद (ङ्खरूढ्ढढ्ढष्ठ) वक्फ संशोधन विधेयक में कहा गया है कि ऐसी संपत्तियों को जिला कलेक्टर स्वीकृति देगा । असुसद्दीन ओवैसी कहते हैं कि मुस्लिम समाज को नीचा दिखाने के लिए कानून बनाया गया है।




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