
क्यूएस वल्र्ड रैंकिंग में भारत के 54 संस्थान
- 19-Jun-25 02:14 AM
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0-केंद्रीय शिक्षा मंत्री बोले-ये मोदी नेतृत्व की नई शिक्षा नीति का परिणाम
जयपुर,19 जून (आरएनएस)। राजधानी में आयोजित मणिपाल यूनिवर्सिटी के एक विशेष कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत के 54 उच्च शिक्षण संस्थानों को शामिल किए जाने को अत्यंत गर्व की बात बताया. उन्होंने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव बताते हुए इसे भारत की शिक्षा प्रणाली में हो रहे परिवर्तनकारी सुधारों का परिणाम करार दिया.
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि वर्ष 2014 में जब देश में केवल 11 भारतीय संस्थान इस वैश्विक रैंकिंग में शामिल थे, वहीं आज यह संख्या बढ़कर 54 हो गई है, जो करीब पांच गुना की बढ़ोतरी को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ एक संख्यात्मक उपलब्धि है, बल्कि भारत की शैक्षणिक गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में तेजी से बढ़ते कद को भी दिखाती है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल पाठ्यक्रम बदलाव की पहल नहीं है, बल्कि यह भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सोच और दृष्टिकोण का व्यापक परिवर्तन है. इसका उद्देश्य छात्रों में नवाचार, अनुसंधान और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि आज देशभर के विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में भारतीय भाषाओं, स्किल डेवलपमेंट, टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन, रिसर्च और मल्टी-डिसिप्लिनरी एजुकेशन पर बल दिया जा रहा है. इसी वजह से भारत की वैश्विक पहचान और स्वीकार्यता में निरंतर वृद्धि हो रही है. प्रधान ने कहा कि अब भारत की शिक्षा प्रणाली, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक मजबूत स्तंभ बन चुकी है. उन्होंने इसे भारत के ज्ञान परंपरा और शिक्षाविदों के समर्पण का प्रतिफल बताया.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने क्यूएस रैंकिंग में अपने प्रतिनिधित्व में 390 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि दर्ज की है. यह वृद्धि जी-20 देशों में सबसे तेज मानी जा रही है, जो वैश्विक मंच पर भारत की शिक्षा नीति की प्रभावशीलता को दर्शाती है. इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लगभग 48 प्रतिशत विश्वविद्यालयों ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है, और पांच भारतीय संस्थानों ने वैश्विक शीर्ष 100 में जगह बनाई है.
शिक्षा मंत्री ने बताया कि जहां एक ओर आईआईटी बॉम्बे की रैंकिंग पिछले वर्ष के 118वें स्थान से फिसलकर 129वें स्थान पर पहुंच गई है, वहीं आईआईटी मद्रास ने 47 अंकों की उल्लेखनीय छलांग लगाकर 227वें स्थान से सीधे 180वें स्थान पर कब्जा किया है. अन्य प्रमुख संस्थानों में आईआईटी खडग़पुर (215), आईआईएससी बैंगलोर (219) और दिल्ली विश्वविद्यालय (328) शामिल हैं. निजी विश्वविद्यालयों में भी अच्छी भागीदारी देखी गई है, जिनमें बिट्स पिलानी (668) और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (851-900) रैंक के दायरे में शामिल हैं.
वैश्विक स्तर पर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने लगातार 14वें वर्ष पहला स्थान प्राप्त कर अपनी श्रेष्ठता को बनाए रखा है. धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा, यह बदलता हुआ भारत है, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला भारत है, जिसकी शिक्षा नीति अब न केवल देश के युवाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की दिशा में निर्णायक कदम भी है. प्रधान ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में भारत और भी अधिक संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाएगा और वैश्विक शिक्षा जगत में अग्रणी स्थान हासिल करेगा. उन्होंने इसे शिक्षा से आत्मनिर्भरता की ओर यात्रा करार दिया.
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