चीनी रक्षा बजट : भारत को सतर्क रहना होगा

  • 30-Mar-24 12:00 AM

लक्ष्मी शंकर यादवभारत व अमेरिका से लगातार चल रहे तनाव के बीच चीन ने एक बार फिर से अपने रक्षा बजट में भारी भरकम बढ़ोतरी की है।चीन ने 7.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्श 2024 का रक्षा बजट 1.67 ट्रिलियन युआन अर्थात 232 अरब डॉलर कर दिया है। चीनी रक्षा बजट की यह वृद्धि बीते पांच सालों में सबसे ज्यादा है। चीन ने अपने वित्त मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया है कि वह दुनिया में अमेरिका के बाद रक्षा बजट पर सबसे अधिक खर्च करने वाला दूसरा देश है। चीन की विधायिका की वार्षिर्क बैठक के उद्घाटन सत्र में 5 मार्च को आधिकारिक रक्षा बजट के आंकड़े की घोषणा की गई। अनेक विदेशी विशेषज्ञों का मानना है कि यह धनराशि सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य शाखा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए खर्च का केवल एक अंश है।232 अरब डॉलर का चीनी रक्षा बजट भारतीय रु पयों में 19.23 लाख करोड़ रु पए से ज्यादा है। चीन की तुलना में भारत का 2024-25 के लिए घोषित रक्षा बजट 621541 करोड़ रु पए है। इस हिसाब से देखा जाए तो चीन का रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट से तीन गुना से भी ज्यादा है। चीन ने वर्ष 2023 में भी अपना रक्षा बजट 7.2 फीसद बढ़ाया था। इससे चीन का रक्षा बजट बढ़कर 1550 अरब युआन अर्थात 225 अरब डॉलर तक हो गया था। इससे पहले वर्ष 2022 में चीन ने अपना रक्षा बजट 7.1 फीसद बढ़ाया था।तब यह 1450 अरब युआन था। कुल मिलाकर तथ्य यह है कि चीन अपने रक्षा बजट में पिछले नौ वर्षो से लगातार इजाफा कर रहा है। दरअसल, चीन की योजना यह है कि वह अपनी सेना को विश्व की नम्बर एक सेना बना दे। चीन ने अपना रक्षा बजट ऐसे समय बढ़ाया है जब उसकी अर्थव्यवस्था काफी बुरे दौर से गुजर रही है। चीन इससे पहले भी आर्थिक संकट से घिरा हुआ था, लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक परेशानी वाले काल से गुजर रहे हैं। चीन की तेज आार्थिक ग्रोथ में लंबे समय तक वहां की प्रॉपर्टी सेक्टर की विषेश भूमिका रही है, लेकिन इधर काफी समय से प्रॉपर्टी सेक्टर की कुछ कंपनियां दिवालिया हो गई हैं और सरकार इन्हें उबारने के मूड में नहीं है।दूसरी तरफ साल 2024 के लिए चीन का रक्षा बजट पिछले कई वर्षो में सबसे ज्यादा है। ऐसे में चीन के द्वारा की गई रक्षा बजट की बढ़ोतरी उसके सैन्य इरादों को स्पष्ट करती है। जिनपिंग ने अपनी सेना को वर्ष 2027 तक विस्तरीय सेना बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा यह भी लक्ष्य निर्धारित है कि चीनी सेना को वर्ष 2035 तक पूरी तरह से अत्याधुनिक बना दिया जाए। इसी वजह से चीन अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ा रहा है। दरअसल, राष्ट्रपति जिनपिंग यह नहीं चाहते कि उनके सैनिकों को युद्ध लडऩे में अधिक मेहनत करनी पड़े। इसीलिए चीन अत्याधुनिक हथियार, मजबूत थियेटर कमांड, स्टील्थ तकनीक व लड़ाकू तकनीक के क्षेत्र में अधिक पैसा लगा रहा है। इनके विकास के बाद युद्ध में विजय दिलाने का काम लड़ाकू जेट विमान, ऑटोनॉमस हथियार व अत्याधुनिक मिसाइलें कर देंगे।हाल के वर्षो में चीन ने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए कई बड़े सैन्य सुधार किए हैं। इन सुधारों के तहत उसने दूसरों देशों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए नौसेना और वायुसेना को प्राथमिकता देते हुए उनका विस्तार किया। अब चीन नई रोबोट आर्मी तैयार कर चुका है और इसकी तैनाती भी भारतीय सीमा के नजदीक करनी शुरू कर दी है। चीन अपनी इसी रक्षा नीति पर चलते हुए अमेरिका को पीछे छोड़ता हुआ दुनिया की सबसे बड़ी नौसैन्य ताकत बन रहा है। विगत दो तीन वर्षो में चीनी नौसेना में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल की गई हैं उतने शायद अमेरिका की नौसेना में न हों। इतने हथियारों की बढ़ोतरी के बाद भी उसकी भूख कम नहीं हुई है। चीन की रक्षा ताकत बढ़ाने वाली यह नीति आने वाले समय में विश्व को नए युद्ध में धकेलने में देर नहीं लगाएगी।इन योजनाओं के पीछे कारण यही है कि चीन का अमेरिका, ताइवान, जापान व भारत के साथ जारी तनाव और हिन्द महासागर व दक्षिण चीन सागर में मिलने वाली चुनौतियों से निपटने में उसका सैन्य पक्ष कमजोर न पड़े। चीन के नीति नियंताओं के मुताबिक सेना को अत्याधुनिक बनाये जाने के फोकस को देखते हुए रक्षा बजट बढ़ाया गया है। चीन अपना दबदबा बढ़ाने के लिए नौसेना की पहुंच को समुद्री क्षेत्रों में फैला रहा है। इस साल के रक्षा बजट का मुख्य जोर नौसेना के विकास पर रहेगा क्योंकि दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर पर उसके दावे तथा समुद्री आवागमन के लिहाज से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है। इसके अलावा एशिया प्रशांत क्षेत्र में अस्थिर सुरक्षा स्थिति को देखते हुए उसको जवाब के तौर पर तैयार होना है। इस तरह यह स्पष्ट हो जाता है कि चीन सैन्य क्षेत्र में दुनिया के शक्तिशाली देशों की तुलना में सबसे ऊपर रहना चाहता है। ऐसी स्थिति में भारत को चीन की रक्षा बढ़ोतरी से सजग रहने की आवश्यकता होगी।




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