जातीय भेदभाव से तंग आकर 12 वर्षीय बच्चे ने दी जान, गौशाला में बंद कर मांगी थी ‘शुद्धि’ के लिए बकरे की बलि

  • 30-Sep-25 07:34 AM

शिमला 30 Sep, (Rns): हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से मानवता को झकझोर देने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। रोहड़ू उपमंडल के चिड़गांव में कथित तौर पर जातीय भेदभाव और प्रताड़ना से आहत अनुसूचित जाति के 12 वर्षीय बच्चे ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी। आरोप है कि ऊंची जाति की महिलाओं ने बच्चे को घर में घुसने पर “अशुद्ध” मानकर पीटा, गौशाला में बंद किया और परिवार से ‘शुद्धि’ के लिए बकरे की मांग तक कर डाली।

पुलिस को दी शिकायत के अनुसार, यह दिल दहला देने वाली घटना 16 सितंबर की है। चिड़गांव निवासी एक व्यक्ति जब शाम को घर लौटा तो उसने अपने 12 वर्षीय बेटे को बिस्तर पर अचेत अवस्था में पाया। परिवार उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल ले गया, जहां से गंभीर हालत में उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान 17 सितंबर की देर रात बच्चे ने दम तोड़ दिया। शिमला में ही परिजनों को पता चला कि उनके बेटे ने जहर खाया था।

मामले ने तब एक भयावह मोड़ ले लिया जब 18 सितंबर को घर लौटने पर मृतक बच्चे की मां ने पुलिस को पूरी आपबीती सुनाई। मां के अनुसार, उनका बेटा 16 सितंबर को गांव की ही एक महिला की दुकान पर सामान लेने गया था। दुकान बंद होने पर वह सीधे महिला के घर के आंगन में चला गया। आरोप है कि इससे नाराज ऊंची जाति की महिला ने घर अपवित्र होने की बात कहकर बच्चे को बेरहमी से पीटा और दो अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उसे गौशाला में बंद कर दिया।

इतना ही नहीं, महिला ने बच्चे के परिवार से घर की ‘शुद्धि’ के लिए एक बकरे की भी मांग की। बच्चा किसी तरह गौशाला से भागकर घर तो पहुंच गया, लेकिन यह अपमान और प्रताड़ना वह सह नहीं सका। इस घटना से बुरी तरह आहत होकर उसने जहरीला पदार्थ खा लिया।

डीएसपी रोहड़ू, प्रणव चौहान ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि बच्चे ने मरने से पहले अपनी मां को पूरी घटना के बारे में बताया था। पुलिस ने शुरुआत में बीएनएस की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन जातिगत प्रताड़ना का पहलू सामने आने के बाद 26 सितंबर को मामले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम यानी एट्रोसिटी एक्ट की धारा भी जोड़ दी गई है।

डीएसपी ने बताया कि मामले की मुख्य आरोपी महिला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली है। अदालत ने पुलिस को 6 अक्टूबर तक मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि मामले में शामिल अन्य महिलाओं की भूमिका की भी गहनता से जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।




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