दक्षिण कोरिया के खिलाफ उत्तर कोरिया कर सकता है अपने संविधान में अहम संशोधन
- 06-Oct-24 12:00 PM
- 0
- 0
सियोल ,06 अक्टूबर। उत्तर कोरिया आज एक महत्वपूर्ण संसदीय बैठक आयोजित करने जा रहा है, जिसमें अपने संविधान में बदलाव किए जाने की उम्मीद है। इन बदलावों में एकीकरण से जुड़े प्रावधानों को हटाना और देश की क्षेत्रीय सीमाओं, खासकर समुद्री सीमा, को स्पष्ट करना शामिल हो सकता है।
14वीं सर्वोच्च जनसभा (एसपीए) का 11वां सत्र इन संशोधनों पर चर्चा करेगा। नौ महीने पहले उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के संबंधों को दो दुश्मन देशों के रूप में फिर से परिभाषित किया था और कहा था कि अब दक्षिण कोरिया को सुलह और एकीकरण का भागीदार नहीं माना जाएगा।
इससे पहले जनवरी में हुई एसपीए की बैठक में, किम ने संविधान में बदलाव करने की मांग की थी ताकि दक्षिण कोरिया को आधिकारिक रूप से उत्तर कोरिया का स्थायी मुख्य दुश्मन घोषित किया जा सके और युद्ध की स्थिति में दक्षिण पर पूरी तरह से कब्जा करने की योजना बनाई जा सके।
किम के निर्देश के अनुसार, संविधान से एकीकरण से जुड़े किसी भी प्रावधान को हटाने और देश की क्षेत्रीय सीमाओं, विशेष रूप से समुद्री सीमा, को शामिल करने का आदेश दिया गया है।
दक्षिण कोरिया की यूनिफिकेशन मिनिस्ट्री ने कहा है कि उत्तर कोरिया शायद पुराने अंतर-कोरियाई समझौतों को रद्द कर सकता है, जिसमें 1991 का बेसिक एग्रीमेंट भी शामिल है। यह समझौता दोनों देशों के संबंधों को एक विशेष संबंध के रूप में परिभाषित करता था, जो एकीकरण की प्रक्रिया में बनाया गया था, न कि राज्य-से-राज्य के संबंधों के रूप में।
ऐसा भी कयास लगाया जा रहा है कि उत्तर कोरिया के संविधान में बदलाव के बाद एकीकरण, साझा जातीयता और नस्ल से जुड़े प्रावधानों को हटाकर, युद्ध की स्थिति में दक्षिण कोरिया के बलपूर्वक अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
इन बदलावों के विशेष विवरण तुरंत सामने नहीं आ सकते, क्योंकि उत्तर कोरिया ने पहले भी संविधान संशोधनों के खुलासे में देरी की है। जहां तक समुद्री सीमा का सवाल है, उत्तर कोरिया शायद इसे अस्पष्ट रूप से प्रस्तुत करेगा, ताकि भविष्य में कानूनों के जरिए अपने रुख को स्पष्ट कर सके। 1972 में समाजवादी संविधान अपनाने के बाद से, उत्तर कोरिया ने इसे 10 बार संशोधित किया है, जिसमें आखिरी संशोधन पिछले साल सितंबर में किया गया था।
00
Related Articles
Comments
- No Comments...