
दिल्ली के जंतर-मंतर पर फिलिस्तीन के समर्थन में वाम दलों ने किया जोरदार प्रदर्शन
- 17-Jun-25 02:11 AM
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नई दिल्ली,17 जून (आरएनएस)। दिल्ली के जंतर-मंतर पर फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन में किया गया. इस प्रदर्शन में सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआई (एमएल), एआईएफबी, आरएसपी, सीजीपीआई, केवाईएस भी शामिल हुए. इस प्रदर्शन के दौरान जमकर नारबेजी किया गया. इस दौरान सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि हम गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजरायल सरकार की तरफ से छेड़े जा रहे युद्ध की कड़ी निंदा करते हैं. पिछले बीस महीनों से भी ज्यादा समय से इजरायल की लगातार बमबारी और सैन्य आक्रमण से 55,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों को मार डाला है. इसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं.
उन्होंने कहा कि जरूरी बुनियादी ढांचे, अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी आश्रयों को जानबूझकर निशाना बनाया गया है. जिससे गाजा के लोगों को मानवीय तबाही का सामना करना पड़ रहा है. यह नरसंहार से कम नहीं है. अमानवीय रूप से इजरायल, गाजा में सहायता को प्रवेश भी नहीं करने दे रहा है. हम अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में फ्रीडम फ्लोटिला गाजा के मानवीय जहाज मैडलीन पर इजरायल के हमले की भी निंदा करते हैं. हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह हिरासत में लिए गए सभी अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों की रिहाई की मांग करे, गाजा को निर्बाध मानवीय सहायता सुनिश्चित करे और अमानवीय घेराबंदी को तत्काल समाप्त करने का आह्वान करे.
संयुक्त राष्ट्र और अंतराराष्ट्रीय न्यायालय सहित वैश्विक आक्रोश बढऩे के बावजूद, नेतन्याहू सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके कुछ सहयोगियों के समर्थन से दंड से बचकर अपना क्रूर अभियान जारी रखे हुए है. गाजा पर हाल ही में हुए हमले ने पहले से ही विस्थापित सैकड़ों हजारों फि़लिस्तीनियों को फिर से विस्थापित कर दिया है. यह दिखाता है कि इजऱायली सरकार अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकारों और बुनियादी मानवता के प्रति कितनी लापरवाह है. अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र से फ्ऱीडम फ़्लोटिला को अपहृत किए जाने की ताज़ा घटना व्यापक विरोध को जन्म दे रही है.
यह बेहद परेशान करने वाली बात है कि भारत सरकार ने फिलिस्तीनी मुद्दे के साथ मजबूती से खड़े होने के बजाय इजऱायली हमलावरों के प्रति संदेह और तुष्टिकरण का रुख अपनाया है. यह भारत की लंबे समय से चली आ रही विदेश नीति से एक शर्मनाक विचलन को दर्शाता है, जो उपनिवेशवाद विरोधी एकजुटता और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों के समर्थन पर आधारित है.
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