देश में 1975 का आपातकाल संविधान की अनुच्छेद 352 के तहत लगाया गया था
- 29-Jun-25 12:00 AM
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अजय दीक्षितपचास साल पूरे हो गए देश में आपातकाल लगाने के जो 25 जून 1975 का तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति जनाब फकरुद्दीन अली अहमद ने संवैधानिक रूप से लगाया था। और कारण था श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद से इतीफा देने के बजाय यह रास्ता सत्ता में बने रहने के लिए चुना था क्योंकि उनके रायबरेली संसदीय चुनाव को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस सिन्हा ने गैर संवैधानिक मान कर अवैध घोषित कर दिया था। हालांकि अलाहाबाद हाइकोर्ट ने स्व श्रीमती इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा था। लेकिन तत्कालीन विपक्ष ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देश भर में प्रदर्शन किया था और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने की मांग की थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा ने रात्रि के दौरान मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर संविधान की अनुच्छेद 352 के सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर तत्कालीन राष्ट्रपति फकुरद्दीन अली अहमद से आपातकाल लगा दिया और नागरिकों के मौलिक अधिकार पर रोक लगाने का कार्य किया।इतना ही नहीं जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेई, लाल कृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई, राजनरायन,सहित पूरे भारत के विपक्ष को रात ही जेल भेज दिया।उत्तर भारत में पूरी जेले नेताओं, कार्यकर्ताओं, और अन्य से भर गईं।19 महीने तक उत्तर भारत, पश्चिमी भारत, पूर्वोत्तर, राज्यों, बिहार, पश्चिमी बंगाल,के राजनीतिक दलों के नेताओं को जेल में रखा गया। सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के चुनाव सही , विधि सम्मत माना और अल्लाहवाद हाइकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया।भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था, संस्थानों को चोट पहुंची।सबसे अधिक वे पीडि़त रहे जो जेल में बंद थे और उनके परिवारों को आपातकाल की तृष्णा झेलनी पड़ी।तब भारत को आजाद हुए मात्र 28 साल हुए थे लोगो को भूखे पेट रहना पड़ा कुछ लोगों ने मजदूरी कर काम चला या।उनकी महिलाओं पर तो संकट ही गया। दूसरी ओर इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी देश को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। अनुसासन तो आदमी तब करेगा जब खाना खाने को दाने हो लोगों को नौकरशाही ने तब बहुत परेशान किया।पुलिस स्टेशनों में ग्रामीण एक एक सप्ताह तक इस लिए बैठे रहते थे कि उनसे धन की मांग हो रही थी।आवाज उठाने वालों को मीसा में बंद कर दिया जाता था।कुल मिलाकर ब्रिटिश रूल लौट आया था। अखबार,अन्य प्रकाशन होने वाली सामग्री पर सेंसरशिप लगी थी।डंडे के डर से रेलगाडिय़ां, अस्पताल समय पर कार्य करने लगे लेकिन वह सब ढकोसला था।
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