
पहली बार एक बाघिन ने दिए पांच शावक: जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में रानी बनी मां, दो महीने बाद कराल में पहली बार दिखे बच्चे
- 01-Jul-25 12:49 PM
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जयपुर ,01 जुलाई (आरएनएस)। देश में पहली बार किसी बाघिन ने एक साथ पांच शावकों को जन्म दिया है। यह ऐतिहासिक क्षण जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दर्ज हुआ है, जहां बाघिन रानी ने तीन नर और दो मादा शावकों को जन्म दिया। दो महीने की निगरानी और देखरेख के बाद अब इन नन्हे शावकों को मां रानी के साथ कराल में छोड़ दिया गया है। पर्यटक अब मानसून के मौसम में रानी और उसके शावकों का दीदार कर सकेंगे। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर ने बताया कि रानी ने 27 अप्रैल को इन शावकों को जन्म दिया था। इसके बाद से ही सभी को विशेष निगरानी में रखा गया था। अब दो महीने पूरे होने पर इन्हें कराल में लाया गया है, जहां ये प्राकृतिक वातावरण में मां के साथ समय बिता रहे हैं।
जेंडर पहचान और वैक्सीनेशन भी पूरा
डॉ. माथुर ने बताया कि पांचों शावकों को बीमारियों से बचाने के लिए पहले टीके लगाए गए और फिर जेंडर की पहचान की गई। इनमें से दो शावक सफेद और गोल्डन मेल हैं, जबकि दो अन्य गोल्डन शावक फीमेल हैं। अब अगस्त में इन्हें बूस्टर डोज भी दी जाएगी।
पहली बार बाहर आए शावक, पर्यटकों के लिए खास आकर्षण
रानी और उसके पांचों शावकों को कराल में छोडऩे के बाद अब ये पहली बार पिंजरे से बाहर खुले में नजर आए हैं। मानसून की फुहारों में मिट्टी में खेलते और मां के साथ उछलते-कूदते शावक अब नाहरगढ़ पार्क के मुख्य आकर्षण बनते जा रहे हैं। वन विभाग द्वारा इन पर विशेष निगरानी भी रखी जा रही है।
रानी अब तक आठ शावकों को जन्म दे चुकी
बाघिन रानी ने पिछले साल 10 मई 2024 को भी तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से एक की मौत हो गई थी। शेष दो शावक अभी भी स्वस्थ हैं और पर्यटकों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। इस साल अप्रैल में हुए पांच शावकों के जन्म के साथ अब रानी के कुल शावकों की संख्या आठ हो गई है।
गर्मी से बचाने को लगाए गए थे कूलर और टाट
गर्भावस्था के दौरान रानी को गर्मी से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। पिंजरे के पास कूलर और टाट की मोटी परतें लगाई गईं, साथ ही विशेष आहार भी दिया गया। स्टाफ ने शावकों के जन्म के बाद दो महीने तक सतत निगरानी रखी, जिससे सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ और सक्रिय हैं।
वन विभाग का मानना है कि इस प्रकार की सफल प्रजनन प्रक्रिया बाघ संरक्षण और जैव विविधता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। साथ ही यह बायोलॉजिकल पार्क को देशभर में एक नई पहचान देने वाला क्षण है।
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