पाक बॉर्डर पर गरजेगा मेड इन इंडिया तेजस, अमेरिकी इंजन मिलते ही HAL ने पकड़ी रफ्तार

  • 01-Oct-25 12:24 PM

नई दिल्ली 01 Oct, (rns): भारतीय वायुसेना के बेड़े में स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘तेजस’ की दहाड़ सुनने का लंबा इंतजार अब खत्म होने वाला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी से तेजस का चौथा इंजन मिल गया है, जिससे विमानों के निर्माण में आ रही सबसे बड़ी बाधा दूर हो गई है। इस बड़ी सफलता के साथ ही यह तय हो गया है कि नवंबर महीने तक पहले दो advanced तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट भारतीय वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे।

अमेरिकी इंजन की देरी से अटका था प्रोजेक्ट

दरअसल, फरवरी 2021 में सरकार ने 83 तेजस मार्क-1ए विमानों के लिए HAL के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। लेकिन अमेरिकी इंजन की डिलीवरी में हो रही देरी के कारण अब तक एक भी विमान वायुसेना को नहीं मिल पाया था। अब इंजन की आपूर्ति शुरू होने के साथ ही उम्मीद है कि 2028 तक सभी 83 विमान वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे।

मिग-21 की जगह, बीकानेर में होगी पहली तैनाती

तेजस मार्क-1ए विमान वायुसेना के उस महान योद्धा ‘मिग-21’ की जगह लेंगे, जो 62 साल की शानदार सेवा के बाद 26 सितंबर को ही रिटायर हुआ है। वायुसेना की योजना है कि तेजस के पहले स्क्वाड्रन को पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात किया जाए, ताकि पश्चिमी सीमा पर भारत की हवाई ताकत कई गुना बढ़ जाए।

पहले से ज्यादा ‘देसी’ और खतरनाक है नया तेजस

LCA मार्क-1ए तेजस का एक बेहद उन्नत संस्करण है, जिसमें अत्याधुनिक एवियॉनिक्स और रडार सिस्टम लगे हैं। इन विमानों में 65% से ज्यादा उपकरण भारत में ही बने हैं। हाल ही में 25 सितंबर को रक्षा मंत्रालय ने HAL को अतिरिक्त 97 तेजस बनाने के लिए ₹62,370 करोड़ का एक और बड़ा कॉन्ट्रैक्ट दिया है। यह सिंगल इंजन वाला हल्का लड़ाकू विमान हवा, पानी और जमीन, तीनों जगहों पर सटीकता से हमला करने में सक्षम है। नए विमानों में दुश्मनों को चकमा देने के लिए ‘स्वयं रक्षा कवच’ जैसी आधुनिक तकनीक भी होगी।

यह सफलता ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए एक बड़ी छलांग है, जिससे न केवल वायुसेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि भारत रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी एक नई ऊंचाई हासिल करेगा।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment