पुराने सहयोगियों को बी टीम क्यों बताना है?

  • 28-Jan-24 12:00 AM

कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ साथ अब राहुल गांधी भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं कि मुस्लिम नेताओं की पार्टियों को भाजपा की बी टीम बताया जाए। ऐसी पार्टियों को भी जो हाल के दिनों तक कांग्रेस की सहयोगी थीं। राहुल ने असम में अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्र के दौरान ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट आनी एआईयूडीएफ को भाजपा की बी टीम बताया। सोचें, बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ कुछ दिन पहले तक कांग्रेस की सहयोगी थी और दोनों पार्टियों ने मिल कर चुनाव लड़ा था। अभी दोनों के साथ मिल कर चुनाव लड़े तीन साल भी नहीं हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को झटका लगा था। कांग्रेस तो खैर किसी तरह से अपनी तीन सीटें बचाने में कामयाब रही थी लेकिन अजमल की पार्टी तीन से घट कर एक सीट पर आ गई थी और उसका सात फीसदी वोट खिसक गया था।उसके बाद दोनों पार्टियों ने 2021 के विधानसभा चुनाव में तालमेल किया था। विधानसभा चुनाव के अभी तीन साल नहीं हुए हैं। 2021 के मई में हुए चुनाव में कांग्रेस 95 और एआईयूडीएफ 20 सीटों पर लड़ी थी। इस महाजोत में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ तीन कम्युनिस्ट पार्टियां थीं और राजद भी शामिल था। लेकिन अब राहुल गांधी अजमल की पार्टी को भाजपा की बी टीम बता रहे हैं। इसी तरह का आरोप कांग्रेस नेता तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी के बारे में लगा रहे हैं। उनको भी राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने भाजपा की बी टीम बताया है। हालांकि एकीकृत आंध्र प्रदेश में उनके साथ भी कांग्रेस का तालमेल था। ओवैसी की पार्टी के साथ कांग्रेस का तालमेल 2012 के बाद खत्म हुआ। सिर्फ मुस्लिम पार्टियों को ही नहीं कुछ दिन पहले तक तो कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को छोटा मोदी और उनकी पार्टी को भाजपा की बी टीम बताती थी। लेकिन अब उनके साथ तालमेल कर रही है।




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