
फेक स्क्रीनशॉट और क्यूआर कोड स्कैम से खाता हो रहा साफ, एक्सपर्ट्स से जानें बचने के तरीके
- 12-Oct-25 08:35 AM
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नई दिल्ली ,12 अक्टूबर । देश में डिजिटल क्रांति के साथ-साथ साइबर अपराध की चुनौतियाँ भी तेजी से बढ़ रही हैं। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (क्कढ्ढ) आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसी सुविधा को साइबर ठगों ने धोखाधड़ी का नया हथियार बना लिया है। आजकल 'फेक स्क्रीनशॉटÓ और 'क्यूआर कोडÓ बदलकर लोगों के बैंक खाते खाली किए जा रहे हैं। आइए विशेषज्ञों से जानते हैं कि इन नए तरह के फ्रॉड से कैसे बचा जा सकता है।
कैसे काम करता है 'फेक स्क्रीनशॉटÓ स्कैम?
साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह ठगी का एक बेहद शातिर तरीका है, जिसे दुकानदार और आम लोग आसानी से समझ नहीं पाते। ठग सबसे पहले आपके अकाउंट में ?1 या ?2 जैसी छोटी रकम भेजकर आपकी क्कढ्ढ आईडी कन्फर्म करते हैं। इसके बाद वे इंटरनेट पर मौजूद ऐप्स की मदद से एक बड़ी रकम का हूबहू असली जैसा दिखने वाला पेमेंट स्क्रीनशॉट बनाते हैं। वे आपको यह फेक स्क्रीनशॉट भेजकर दावा करते हैं कि पैसा उनके अकाउंट से कट चुका है और आपके अकाउंट में तकनीकी खराबी के कारण नहीं दिख रहा। इसके बाद वे आप पर पैसा वापस करने का दबाव बनाते हैं और जल्दबाजी में आप ठगी का शिकार हो जाते हैं।
रुपयापैसा.कॉम के संस्थापक मुकेश पाण्डेय के मुताबिक, कभी भी केवल स्क्रीनशॉट के आधार पर कोई लेनदेन न करें। जब तक आपके बैंक खाते में पैसा क्रेडिट होने का मैसेज न आए, तब तक यह न मानें कि भुगतान हो गया है। क्कढ्ढ पेमेंट लगभग तुरंत हो जाती है, इसमें देर नहीं लगती।
क्तक्र कोड बदलकर हो रही ठगी
इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के कनिष्क गौड़ बताते हैं कि दुकानों और सार्वजनिक स्थानों पर लगे क्तक्र कोड को बदलना भी ठगों का एक आम तरीका बन गया है। जालसाज रात के समय या मौका देखकर असली क्तक्र कोड के ऊपर अपना क्तक्र कोड चिपका देते हैं। जब ग्राहक भुगतान के लिए कोड स्कैन करता है, तो पैसा दुकानदार के बजाय ठग के खाते में चला जाता है। भुगतान करते समय हमेशा क्तक्र कोड स्कैन करने के बाद स्क्रीन पर दिखने वाले नाम को वेरिफाई करें। सुनिश्चित करें कि आप जिस व्यक्ति या दुकान को भुगतान कर रहे हैं, नाम उसी का है।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान
केवाईसी (्यङ्घष्ट) अपडेट या बैंक खाता बंद होने की धमकी वाले किसी भी अनजान फोन कॉल या मैसेज में दिए गए लिंक पर कभी क्लिक न करें। अपना कार्ड नंबर, सीवीवी (ष्टङ्कङ्क), पिन या ओटीपी (ह्रञ्जक्क) किसी के साथ भी साझा न करें। अपनी पेमेंट ऐप्स में सिर्फ ओटीपी के अलावा बायोमेट्रिक या पिन जैसा एक अतिरिक्त सुरक्षा कवच (रूह्वद्यह्लद्ब-स्नड्डष्ह्लशह्म् ्रह्वह्लद्धद्गठ्ठह्लद्बष्ड्डह्लद्बशठ्ठ) हमेशा चालू रखें। सार्वजनिक स्थानों पर अपने फोन का वाई-फाई और ब्लूटूथ बंद रखें, क्योंकि हैकर्स इनके जरिए आपके फोन की जानकारी चुरा सकते हैं।
डिजिटल दौर में सुविधा के साथ सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। आपकी एक छोटी सी सावधानी आपको बड़ी आर्थिक चपत लगने से बचा सकती है।
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