बढ़ते अपराध और समाज की भूमिका
- 20-Apr-25 12:00 AM
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विवेक रंजन श्रीवास्तव अपराधी प्रवृति और समाज के बीच गहरा संबंध है। समाज की संरचना, मूल्यों में हो रही गिरावट, आर्थिक असमानता, शिक्षा की कमी और सामाजिक न्याय की अनदेखी जैसे कारण अपराध को बढ़ावा देते हैं। सामाजिक असमानता और आर्थिक कारण..- गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक हताशा लोगों को गैरकानूनी रास्तों पर धकेलती है। - धन और अवसरों का असमान वितरण अपराध को जन्म देता है, जैसे चोरी, डकैती या धोखाधड़ी। *शिक्षा और संस्कार की कमी*- शिक्षा का अभाव लोगों को सही-गलत का फर्क समझने से रोकता है। - परिवार और समुदाय द्वारा नैतिक मूल्यों की अनदेखी युवाओं को अपराध की ओर मोड़ती है। *कानून व्यवस्था में कमजोरियाँ*- पुलिस और न्याय प्रणाली की अक्षमता अपराधियों को प्रोत्साहित करती है। - कानून का डर न होने से अपराधी बेखौफ होकर गलत कार्य करते हैं। *मीडिया और संस्कृति का प्रभाव*- फिल्मों, सोशल मीडिया और समाचारों में हिंसा या अपराध का ग्लैमराइजेशन युवाओं को गलत राह दिखाता है। - सामाजिक मानदंडों का क्षरण भी हिंसा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। *समाज की निष्क्रियता*- लोग अक्सर चुप्पी की संस्कृति अपनाकर अपराध को नजरअंदाज करते हैं, जिससे अपराधी और शक्तिशाली होते हैं। - सामुदायिक भागीदारी की कमी और पड़ोसियों के बीच बढ़ती उदासीनता अपराध को रोकने में बाधक है। समाधान के उपाय...- शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाकर युवाओं को सही दिशा देना। - कानून प्रवर्तन को मजबूत करना और सामाजिक जागरूकता फैलाना। - परिवार और समुदाय को नैतिक शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी का पालन करने के लिए प्रेरित करना। अपराध को रोकने में समाज की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। यदि लोग जागरूक हों, कानून का सहयोग करें और नैतिक मूल्यों को बनाए रखें, तो अपराध पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
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