
बिजली के झटके से तिलमिलाई जनता, इनेलो का सड़कों पर हल्ला बोल ,अभय चौटाला बोले, ये बढ़ोतरी नहीं, अन्याय है
- 02-Jul-25 12:33 PM
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चंडीगढ़ ,02 जुलाई (आरएनएस)। हरियाणा में इन दिनों गर्मी लोगों के बिजली के बिलों को जलाने के साथ-साथ धूप की तपिश भी बढ़ा रही है। महंगाई, बेरोजगारी और घटती आमदनी ने पहले ही आम आदमी को परेशान कर रखा है, अब बिजली की दरों में बढ़ोतरी ने उस पर एक और मार कर दी है। आज इनेलो पार्टी सड़कों पर इस पीड़ा की आवाज बनकर उभरी। नेता और कार्यकर्ता आम लोगों के हक की आवाज बुलंद करते हुए पंचकूला की सड़कों पर डटे रहे; न लाठी चली, न भाषणबाजी।
जाट भवन बना विरोध की जमीन
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के सदस्य मंगलवार सुबह 10 बजे पंचकूला के सेक्टर-6 स्थित जाट भवन में एकत्र हुए। इस प्रदर्शन का नेतृत्व अभय सिंह चौटाला ने खुद किया। हालांकि उनके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था, लेकिन उनकी आवाज में लोगों की चिंता ज्यादा थी। क्योंकि इस समय बात दरों की नहीं बल्कि नीतियों और योजनाओं की हो रही है।
चौटाला का हमला , मिडिल क्लास के घर में घुसा अंधकार
मीडिया से बातचीत करते हुए इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने कहा कि बिजली के दाम बढ़ाकर सरकार ने गरीब व मध्यम वर्ग के घरों में अंधेरा कर दिया है। जो लोग पहले से ही भोजन, दवा व बच्चों के खर्च से जूझ रहे हैं, उन्हें अब बिजली बिल भरने का डर सता रहा है। उन्होंने दावा किया कि इनेलो जनता के लिए संघर्ष करती रहेगी और हर स्तर पर दबाव बनाएगी ताकि प्रशासन इस जनविरोधी फैसले को वापस ले।
कांग्रेस की चुप्पी पर उठे सवाल
अभय चौटाला ने आगे कहा कि: ये लड़ाई कांग्रेस को लडऩी चाहिए थी, लेकिन अफसोस कि ये भाजपा के हाथ में है. जनता के मुद्दों पर कांग्रेस की चुप्पी भी संदेह के घेरे में है. राजनीतिक गलियारों में इस टिप्पणी ने एक बार फिर बवाल मचा दिया.
थोड़ी बढ़ोतरी के दावे पर कड़ी प्रतिक्रिया
जब पत्रकारों ने चौटाला से गृह मंत्री अनिल विज के इस दावे के बारे में पूछा कि बिजली की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी ही हुई है, तो उन्होंने दर्द भरे लहजे में जवाब दिया: मुझे उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. वो आम जनता से जुड़े नेता रहे हैं. शायद अब कुर्सी की ऊंचाई ने उन्हें धरती से अलग कर दिया है.
मामला कानून का नहीं, भरोसे का है
वैसे तो हरियाणा की जनता बिजली चाहती है, लेकिन वह भरोसेमंद, समझदार और महंगी नहीं चाहती। सरकार के इस फैसले ने न सिर्फ मीटरों की रफ्तार बढ़ा दी है, बल्कि लोगों की भावनाओं को भी झकझोर दिया है। गांवों से लेकर शहरों तक लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं, अभी बिल कैसे हैंडल करें? स्कूल की फीस भरें या बिजली का बिल?
क्या अब सड़कों पर गरजेंगे चौटाला?
प्रदर्शन तो महज शुरुआत है, लेकिन इनेलो का अगला कदम जनता पर क्या होगा? इस दबाव में क्या सरकार बिजली की दरें वापस लेगी? और सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि क्या कांग्रेस इस चुप्पी पर बोलेगी या भाजपा की छत्रछाया में बैठी रहेगी?
बिजली बढ़ी, उम्मीदें गिरी
बिजली का झटका मीटर तक सीमित न होकर सीधे जनता के जीवन स्तर पर असर डालता है। इस झटके के खिलाफ इनेलो विपक्ष ने आवाज उठाई है। अब सरकार की बारी है। क्या वह जनता के साथ खड़ी होगी या फिर ऐसे फैसलों पर अड़ी रहेगी, जिससे उनकी जेब ढीली हो जाए?
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