
भारतीय बाजार में सबसे तेज गिरावट जबकि दुनियाभर के बाजारों में तेजी
- 30-Jul-25 08:44 AM
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मुंबई,30 जुलाई। भारत के बीएसई की सभी सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में जुलाई में दुनिया के टॉप दस इक्विटी बाजारों में सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई, जो लगातार चार महीनों की बढ़त के बाद पांच महीनों में सबसे बड़ी गिरावट थी. ब्लूमबर्ग के अनुसार बीएसई की सभी सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 3.6 फीसदी गिरकर 5.38 ट्रिलियन डॉलर से 5.2 ट्रिलियन डॉलर हो गया, जो इस वर्ष फरवरी के बाद से सबसे बड़ी मासिक गिरावट है.
विश्लेषकों ने भारतीय बाजारों में गिरावट के लिए कमजोर तिमाही आय, नकारात्मक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह, आईपीओ और क्यूआईपी की ओर पूंजी का महत्वपूर्ण मोड़ और अपेक्षाकृत महंगे भारतीय इक्विटी के बारे में सतर्क भावना को जिम्मेदार ठहराया.
इसके उलटा वैश्विक बाजारों में व्यापक बढ़त देखी गई. पूंजीकरण के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार चीन जुलाई में 6.7 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद हांगकांग (6 फीसदी की बढ़ोतरी) का स्थान रहा.
दुनिया के सबसे बड़े इक्विटी बाजार अमेरिका में 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि कनाडा में 2.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. ताइवान के बाजार पूंजीकरण में 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस में 0.2-0.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
पिछडऩे वाले बाजारों में जर्मनी में 1.5 फीसदी, सऊदी अरब में 1.3 फीसदी, जापान में 1.4 फीसदी और स्विट्जरलैंड में 1 फीसदी की गिरावट आई. वैश्विक स्तर पर जुलाई में भारतीय बाजार पांचवां सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला बाजार रहा, ब्राजील में 8.4 फीसदी की गिरावट देखी गई, उसके बाद बोत्सवाना (5.6 फीसदी की गिरावट), लेबनान (4.2 फीसदी की गिरावट) और चिली (4.1 फीसदी की गिरावट) का स्थान रहा.
जुलाई में भारतीय बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, सेंसेक्स और निफ्टी में 2.6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जबकि व्यापक बाजारों में 1.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यह गिरावट आईटी और बैंकिंग शेयरों में मुनाफावसूली के कारण हुई.
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