भारत की अगली डिजिटल जनगणना (2027 )से देश के भविष्य की तस्वीर सामने आएगी
- 21-Jun-25 12:00 AM
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अजय दीक्षितआशा करनी चाहिए कि 2027 की जनगणना से देश की तस्वीर उभर कर सामने आए।आज केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने 16 साल बाद हो रही पहली डिजिटल जनगणना की अधिसूचना जारी की। इससे पहले 2011में जनगणना हुई थी। 28 राज्योंउत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, ओडि़शा, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, पंजाब ,असम, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, बिहार, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश,और आठ केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन द्वीप, नगर हवेली, चंडीगढ़,में 34 लाख कर्मचारी जनगणना करेंगे और यह विश्व का अब तक का सबसे बड़ा प्रशासनिक अभियान होगा ।इस जनगणना में एक लाख तीस हजार ऐसे लोग या कर्मचारी होंगे जो इसे डिजिटल प्रारूप में स्थापित करने का काम करेंगे। मार्च 2027 में इस जनगणना के परिणाम जारी किए जाएंगे। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस जनगणना में मकान,जमीन, पुरुष, स्त्री,अभय लिंगी, जाति, अनुसूचित जाति, जनजाति,जंगल, पेड़,स्कूल, माध्यमिक विद्यालय, शिक्षक, महाविद्यालय, अन्य शिक्षण संस्थान, मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारा, ब अन्य धार्मिक स्थानों, रीत रिवाजों शौचालय,नलकूप,नहरें,कुलाबे, कुएं, तलाब, झील, झरने, नदियां,नाले,सड़क, पगडंडी,पुल,अन्य बुनियादी ढांचे, मतदान केंद्र,सभी डिजिटल प्रारूप में स्थापित कर गिने जाएंगे। इसमें विधायक, सांसद, पंचायतों के पंच, सरपंच, नगरीय निकायों, पार्षदों, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री,मंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रपति,की गिनती होगी।पहली बार सरकार ने इसे उद्देश्य पूर्ण बनाया है।जनगणना हमेशा देश की दिशा और दशा तय करती है।इस जनगणना से जो परिणाम निकलेंगे वह सरकार की योजना, प्रगति, सामाजिक संस्थाओं, बनियादी ढांचों को आवश्यकताओं को इंगित करेंगे। सरकार के समक्ष एक विकल्प होगा कि किस राज्य या प्रदेश में किस प्रकार की जरूरतें हैं।सामाजिक संस्थाओं,में और समाज में किस राज्य में कौन कौन सी जातीय निवास करती हैं और वे कितने प्रतिशत में है। सरकार आगामी दिनों में इन आंकड़ों से आरक्षण, नौकरियों में, विश्व विद्यालयों, चिकित्सा सेवाओं,में कौन सी जातीय पीछे छूट गयी,इसको भी तय कर सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों का अकड़ा भी सामने आएगा ।आगामी जनगणना स्थाई मतदाता सूची भी बनाएगी जिसमें व्यक्ती या नागरिक की 18 वर्ष पूरी होने पर स्वचालित मतदाता सूची में शामिल होगा।यह प्रक्रिया गरीब, बीपीएल परिवार, खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम भी करेगा।गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि जनगणना बहुआयामी और बहुद्देशीय होगी।इस जनगणना से बहुत से विवाद हल करने में सहायता मिल सकती है।विश्व में प्रत्येक देश में डिजिटल जनगणना हुई है और यह स्थाई है,इसी आधार पर सरकार की योजनाओं को लागू किया जाता है। जन जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, धर्म, समुदाय,की गढऩा होगी ।जनगणना सांख्यिकी विशेषज्ञों का मत है कि भारत में अब तक हुए जनगणना से यह जनगणना व्यापक और बहुद्देशीय होगी। विशेषकर उन क्षेत्रों के लिए जो विकास में पीछे हैं।एक प्रकार से शोषित पीडि़त समाज के लिए महत्वपूर्ण आयाम प्रदान करने वाली है।अभी सरकार 80 करोड़ लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराती है। लेकिन स्टडी फॉर ह्यूमन राइट्स लन्दन में एक रिपोर्ट गृह मंत्रालय भारत के हवाले प्रकाशित हुई है उसमें कहा गया है कि अभी भारत की जनसंख्या 140 बिलियन है और यह अनुमानित ही है क्योंकि 2011 के बाद के कोई सार्थक प्रमाण नहीं है। स्टडी फॉर ह्यूमन राइट्स लन्दन ने कहा है कि भारत की वास्तविक जनसंख्या अनुमानित से कम हो सकती है। क्योंकि 2011 में जनगणना कागज पर केवल लोगों के व्यक्तिव या कथन से हुई थी। लेकिन अब सॉफ्वेयर दो बार किसी व्यक्ति की जानकारी आधार कार्ड के अनुसार ही स्वीकार करेगा। इस लिए जनसंख्या 1300 मिलियन भी हो सकती है। जनगणना में जीवन,मृत्यु भी दर्ज होगा ।इससे जीवन और मृत्यु दर का बोध भी होगा।बताया जाता है कि 2050 में भारत की आबादी बढऩा बंद हो जाएगी। क्योंकि प्रजनन दर 2.1 अभी है। अगर 1.9 तक गिरी तो मृत्यु दर बढ़ेगी और जन्म दर घटेगी ।समाज शास्त्री ओ के मुताबिक अभी 2030 के बाद वर्तमान मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि 60,70,80, के दशक की जन्म वाली पीढ़ी क्रमश 80,70,60 वर्षों के होगी।
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