
भारत की आबादी 1.46 अरब पर पहुंची, प्रजनन दर में आई बड़ी गिरावट
- 10-Jun-25 03:18 AM
- 0
- 0
0-यूएन रिपोर्ट में खुलासा
नईदिल्ली ,10 जून (आरएनएस)। भारत की जनसंख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की नई जनसांख्यिकी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2025 तक 1.46 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जो विश्व में सर्वाधिक है।
इसके साथ ही देश की कुल प्रजनन दर अब प्रतिस्थापन दर से भी नीचे आ गई है। ऐसे में सरकार को घटती प्रजनन क्षमता से घबराने के जगह अपूर्ण प्रजनन लक्ष्यों पर ध्यान देने का का प्रयास करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की 2025 विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल प्रजनन दर अब 1.9 बच्चे प्रति महिला हो गई है, जो प्रतिस्थापन दर 2.1 से नीचे है।
इसका मतलब है कि औसतन भारतीय महिलाएं अब उतने बच्चे नहीं पैदा कर रही हैं जिससे आबादी बिना माइग्रेशन के अगली पीढ़ी में स्थिर रह सके।
हालांकि, जन्म दर में गिरावट के बाद भी भारत की युवा आबादी अब भी बड़ी है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 0-14 साल के बच्चों की संख्या 24 प्रतिशत, 10-19 साल के युवाओं की 17 प्रतिशत और 10-24 साल के लोगों की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत है।
देश की 68 प्रतिशत आबादी कार्यकारी उम्र (15-64 साल) की है, जो अगर रोजगार और अच्छी नीतियों का साथ मिले तो अच्छे परिणाम हो सकते है।
65 साल और उससे ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों की हिस्सेदारी अभी 7 प्रतिशत है, जो आने वाले दशकों में और बढ़ेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 तक भारत में पुरुषों की औसत जीवन प्रत्याशा 71 साल और महिलाओं की 74 साल रहने का अनुमान है। इससे साफ है कि काम और जिम्मेदारियों का बोझ महिलाओं की तुलना में पुरुषों पर अधिक भारी है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस वक्त भारत की आबादी लगभग 1.46 अरब है। भारत अब दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। आने वाले दशकों में ये आंकड़ा करीब 1.7 अरब तक जाएगा और फिर लगभग 40 साल बाद गिरावट शुरू होगी।
इन आंकड़ों के पीछे लाखों परिवारों की कहानियां हैं। कुछ ने परिवार बढ़ाने का फैसला किया और कुछ महिलाओं के पास ये तय करने का मौका ही नहीं था कि वे कब और कितने बच्चों पैदा करेंगी।
यूएनएफपीए की भारत प्रतिनिधि एंड्रिया एम वोजनार ने कहा, भारत ने प्रजनन दर तेजी से कम हुई है। 1970 में र महिला के 5 बच्चे होते थे, अब ये आंकड़ा 2 तक आ गया है। इसकी वजह बेहतर शिक्षा और हेल्थ केयर तक पहुंच है। इससे मातृ मृत्यु दर में बड़ी गिरावट आई है, यानी लाखों माताएं जिंदा हैं, बच्चों की परवरिश कर रही हैं और समाज को आगे बढ़ा रही हैं। हालांकि, कमाई के क्षेत्र में भारी असमानताएं हैं।
विश्व बैंक के 2020 के डाटा के अनुसार 1960 में जब भारत की आबादी लगभग 43.6 करोड़ थी, तब औसतन एक महिला के 6 बच्चे होते थे। तब 4 में से केवल 1 महिला गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती थी और आधे से भी कम स्कूल जाती थीं।
फिर धीरे-धीरे शिक्षा बढ़ी, चिकित्सा सेवाओं में सुधार हुआ और महिलाओं को अपने फैसले खुद लेने का ज्यादा हक मिला। अब भारत में एक महिला औसतन लगभग 2 बच्चों को जन्म देती है।
००
Related Articles
Comments
- No Comments...