भारत को अब भी सतर्कता बरतने की जरूरत

  • 08-Nov-24 08:10 AM

फिलहाल समझौता यह हुआ है कि देपसांग और देमचोक में भारतीय बल उस बिंदु तक पेट्रोलिंग कर सकेंगे, जहां तक वे जून 2020 तक जाते थे। ये पूरा समाधान नहीं है, फिर भी स्वागतयोग्य है। इससे आगे का रास्ता निकलता है।
भारत- चीन के बीच लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सवा चार साल से जारी गतिरोध के समाधान की दिशा में दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। हालांकि यह पहला कदम है, फिर भी दोनों देशों के रुख में बदलाव का यह स्पष्ट संकेत है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ब्रिक्स प्लस शिखर सम्मेलन शुरू होने से एक दिन पहले सोमवार को एलान किया कि दोनों देश टकराव के बचे दोनों स्थलों- देपसांग और देमोचोक में भी अपनी सेनाओं को पीछे लौटाने पर राजी हो गए हैं।
वैसे भारत की मांग रही है कि चीन ने अप्रैल 2020 के बाद पूरे एलएसी पर सेना की जो असामान्य तैनाती कर रखी है, उसे वह वापस ले। उसके बाद दोनों देश संबंध सुधार की तरफ बढ़ें। मगर फिलहाल समझौता यह हुआ है कि देपसांग और देमचोक में भारतीय बल उस बिंदु तक पेट्रोलिंग कर सकेंगे, जहां तक वे जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के पहले जाते थे। इस पेट्रोलिंग के साथ भी कुछ शर्तें जुड़ी होंगी। इनमें एक यह भी है कि दोनों देश जब वहां पेट्रोलिंग के लिए जाएंगे, तो उसके पहले एक दूसरे को सूचित करेंगे। इस तरह ये पूरा समाधान नहीं है, फिर भी स्वागतयोग्य है। इससे आगे का रास्ता निकलता है।
इसके अलावा आर्थिक एवं भू-राजनीति के क्षेत्र में सहयोग के लिए भी अनुकूल स्थितियां बनेंगी। ब्रिक्स प्लस एवं शंघाई सहयोग संगठन जैसे उभरते मंचों पर भारत और चीन जैसे बड़े देशों के तनाव का असर साफ नजऱ आता था। आशा है कि ग्लोबल साउथ की आवाज बन रहे ऐसे मंच अब उस असर से बच पाएंगे। इसका संकेत रूस के कजान शहर में शुरू हो चुके ब्रिक्स प्लस शिखर सम्मेलन से ही देखने को मिल सकता है। इसके अलावा एलएसी पर अत्यधिक तैनाती से भारत के राजकोष पर जो अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था, उससे भी देश राहत पा सकेगा। वैसे कहा जाता है कि जिन देशों से तनावपूर्ण संबंध हों, उनके हर कदम पर यकीन पूरे सत्यापन के बाद ही किया जाना चाहिए। भारत को यह सतर्कता अब भी बरतने की जरूरत है।
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