भारत 4.19 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ विश्व में चौथ नंबर पर
- 02-Jun-25 12:00 AM
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अजय दीक्षितअंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के भारत की बढ़ती अर्थ व्यवस्था 4.19 ट्रिलियन डॉलर होगयी है और विश्व में चौथे नंबर की इकोनॉमी है जो जापान के बराबर है।भारत से आगे सभी विकसित देशों में होड़ है । तीसरे स्थान पर जर्मनी है जो भारत से कुछ ही आगे 4.77ट्रिलियन डॉलर, दूसरे स्थान पर चीन 19 ट्रिलियन डॉलर, पहले स्थान पर अमेरिका तीस ट्रिलियन डॉलर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट कहती है कि भारत ने कृषि, ऑटोमोबाइल, पेट्रोलियम पदार्थों, गैस, हैवी इंडस्ट्री, विशेषकर डिजिटल, बैंकिंग, सॉफ्टवेयर के क्षेत्र,सड़क परिवहन निर्माण, कार्यक्रम में उल्लेखनीय कार्य किया है।अब भारत का आयात और निर्यात लगभग बराबर है। भारत ने सिंचाई परियोजना, बांध, हाइड्रल पावर स्टेशन, रेलवेज, वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र को भी विकसित किया है।नेपाल,भूटान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, कनाडा, श्रीलंका,आदि देश पूरी तरह व्यवसायिक रूप से भारत पर निर्भय है।भारत ने मिसाइल, सेटेलाइट स्टेशनों से संबंधित आय बढ़ाई है।भारत के मेडिकल कॉलेज, विश्व में सबसे ऊंचे स्थान पर हैं।विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आगामी तीन साल में जर्मनी से आगे निकल जाएंगे। क्योंकि भारत बहुत बड़ा बाजार है।बड़े बड़े देश भारत में व्यापार करना चाहते हैं।वस्त्र उद्योग में भी भारत ने बहत्तर कार्य किया है। खाद्य तेल और औषधियों के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है जबकि भारत की जनसंख्या 140 करोड़ है और यह आबादी ही बरदान साबित हुई है।भारत सबसे युवा देशों में शुमार है। अभी जनसंख्या दर 2.1 है। अनुमान है 2050 में जनसंख्या में स्थिरांक आएगा और तब आबादी कम होना शुरू होगी ।अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन की जीडीपी लगातार गिर रही है जबकि भारत की जीडीपी लगातार बढ़ रही है।अब अंतरदेशीय पटल पर भारत,चीन, अमेरिका का मौका बाला है। चाइना ने पिछले बीस साल में उल्लेखनीय उन्नति की है।लोहा, सीमेंट, हैवी इंडस्ट्री, एयरोस्पेस, आर्म्स, रक्षा उत्पादों में बहुत आगे है और मध्य एशिया, अफ्रीका, और यूरोपीय देशों में निर्यात करने में माहिर हैं।यहां पर लेबर स्किलनेस बहुत पुरानी है।दरअसल चाइना की सभ्यता भी बहुत पुरानी है। चाइना कभी गुलाम या उप निवेश नहीं रहा ।1949 में यहां क्रांति हुई और माओ के नेतृत्व में सोवियत संघ से प्रेरित होकर साम्यवादी व्यवस्था लागू हुई चाइना की एक मात्र कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना अभी भी सत्ता में है।यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरह चुनाव नहीं होते हैं। जिनपिंग पिछले 20 वर्षों से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के महासचिव भी हैं और देश के राष्ट्रपति भी । चाइना अब रूस से भी आगे निकल चुका है क्योंकि उसने खुली अर्थ व्यवस्था भी समय के साथ अपनाली ।दूसरे बढ़ती जनसंख्या पर भी लगाम लगाई। दंपतियों को एक बच्चा करने की इजाजत थी । चाइना में धर्म समुदाय के नाम पर सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं होते हैं कहने का मतलब है कि चाइना ने ऐसा बतावरण बनाया कि वह तरक्की दर तरक्की करता रहा है। अर्थ व्यवस्था उसकी 19 ट्रिलियन डॉलर की है जो दूसरे स्थान पर है। अंतरिक्ष से जमीन तक सब उपकरण, चाइना में बनते हैं।अमेरिका तो 1768 से लोकतांत्रिक व्यवस्था है। अमेरिका का ढांचा कुछ इस तरह का है कि वह वास्तव में खुली अर्थ व्यवस्था है। विदेश, संचार,रक्षा, और वित्त ही फेडरल सरकार के विषय है और वाकी सब पर स्टेट का अधिकार है।इस लिए उनकी अर्थ व्यवस्था मजबूत है और तीस ट्रिलियन डॉलर के करीब है। यूएसए बहुत अधिक उन्नत शील है।एक तरह से विश्व का नेता है। बहुत बड़ा निर्यातक देश है।उनकी संस्थित नासा, खोजी है। इतना ही नहीं जितने भी मॉर्डन आविष्कार हुए हैं वे अधिकतर अमेरिकन वैज्ञानिकों ने किए हैं।आज यूएसए में बने लड़ाकू विमानों की पूरे विश्व में बहुत मांग है, उसके रक्षा उत्पादों के खरीदारों लाइन लगी है।सऊदी अरब कतर यमन दोहा कुवैत, पोलैंड चेकोस्लोवाकिया ब्रिटेन जापान स्पेन रूस यूक्रेन, इटली फ्रांस जर्मनी सभी देशों में उसके बनाए हजारों उत्पादों का बाजार है। नाटो का नेता अमेरिका ही है। अमेरिका में सैकड़ों देशों के लोग कार्य करते हैं जिनमें अधिकतर अपने जीवन का सपना पूरा करने के लिए वहां जा बसे हैं।खाद्यान्न, पेट्रोलियम पदार्थों,मेवा, ऑटो मोबाइल, खाद्यतेलों, बटर,शराब,फल, रक्षा उपकरण,का सबसे बड़ा उत्पादक है।
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