
मुझे पत्नी को देखना पसंद... कब तक बीवी को निहारोगे बयान पर आनंद महिंद्रा का रिएक्शन आया सामने
- 12-Jan-25 08:17 AM
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नई दिल्ली ,12 जनवरी। लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के हफ्ते में 90 घंटे काम करने के बयान पर मचे बवाल में अब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा भी कूद पड़े हैं। सुब्रह्मण्यन के इस बयान की सोशल मीडिया से लेकर सेलिब्रिटीज तक, सभी आलोचना कर रहे हैं। अब आनंद महिंद्रा ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह काम की क्वालिटी में विश्वास करते हैं, नाकि उसकी क्वांटिटी में।
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आनंद महिंद्रा ने युवाओं से बातचीत करते हुए कहा, मैं नारायण मूर्ति (इंफोसिस के संस्थापक) और अन्य लोगों का बहुत सम्मान करता हूँ, इसलिए मुझे गलत न समझा जाए। लेकिन मुझे लगता है कि यह बहस ग़लत दिशा में जा रही है। मेरा मानना है कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि काम की मात्रा पर। यह 48, 40, 70 या 90 घंटे के बारे में नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि काम के घंटों से ज़्यादा ज़रूरी काम का आउटपुट है। उन्होंने सवाल किया कि अगर सिफऱ् 10 घंटे भी काम किया जाए, तो उस दौरान क्या आउटपुट दिया जा रहा है? उन्होंने दृढ़ता से कहा कि 10 घंटे में भी दुनिया बदली जा सकती है। महिंद्रा ने यह भी कहा कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि किसी भी कंपनी में ऐसे लीडर और लोग होने चाहिए जो सोच-समझकर सही फैसले ले सकें।
यह बताते हुए कि किस तरह का दिमाग सही फ़ैसले लेता है, आनंद महिंद्रा ने कहा कि यह एक ऐसा दिमाग होता है जो समग्र सोच से जुड़ा होता है और दुनिया भर से विचारों को ग्रहण करने के लिए खुला होता है। इसलिए वे लिबरल आर्ट्स के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि भले ही कोई इंजीनियर हो या एमबीए, उसे कला और संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इससे बेहतर फ़ैसले लेने में मदद मिलती है।
उन्होंने सुब्रह्मण्यन के उस बयान पर भी कटाक्ष किया जिसमें उन्होंने कहा था कि घर पर कोई कितनी देर तक अपनी पत्नी को निहार सकता है। इस पर महिंद्रा ने एक सवाल के जवाब में मज़ाकिया लहजे में कहा कि मैं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्सÓ पर इसलिए नहीं हूं कि मैं अकेला हूं। मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, मुझे उसे देखना पसंद है। मैं सोशल मीडिया पर इसलिए हूं, क्योंकि यह एक अद्भुत बिजनेस टूल है।
महिंद्रा ने आगे कहा, अगर आप घर पर समय नहीं बिता रहे हैं, दोस्तों के साथ समय नहीं बिता रहे हैं, पढ़ नहीं रहे हैं, चिंतन नहीं कर रहे हैं, तो आप फ़ैसले लेने के लिए सही इनपुट कैसे लाएँगे? उन्होंने अपने ऑटो विनिर्माण व्यवसाय का उदाहरण देते हुए कहा कि एक परिवार के लिए कार बनाने के लिए परिवार की ज़रूरतों को समझना ज़रूरी है। उन्होंने पूछा कि अगर वे हर समय सिफऱ् ऑफि़स में रहेंगे, तो परिवारों के साथ समय कैसे बिताएँगे और यह कैसे समझेंगे कि लोग क्या खऱीदना चाहते हैं और किस तरह की कार में बैठना चाहते हैं? इस तरह आनंद महिंद्रा ने काम के घंटों की बहस को एक नया मोड़ देते हुए काम की गुणवत्ता और समग्र विकास पर ज़ोर दिया।
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