राजनीति में परिवार बाद हमेशा रहा है और रहेगा,यह एक कड़वी सच्चाई है
- 18-Sep-25 12:00 AM
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अजय दीक्षितराजनीति में परिवारवाद हमेशा से जटिल विषय रहा है। जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, तमिलनाडु में करुणानिधि के पुत्र एम के स्टालिन, कर्नाटक में यदुरप्पा के पुत्र भाजपा अध्यक्ष हैं, डॉ चिन्ना रेड्डी के रेवंत रेड्डी, जगन मोहन रेड्डी, मोरोशिली मारन के दयानिधि मारन, कनिमोझी, चंद्रशेखर राव की कविता राव, एन टी रामाराव के चंद्रबाबू नायडू, एस पुरुंदरई, पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, ओडिशा में बीजू पटनायक के नवीन पटनायक, शिबू सोरेन के पुत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, लालू प्रसाद यादव के तेजस्वी यादव, मीसा भारती, हिमाचल प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल के अनुराग ठाकुर , दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा ने अपने पुत्र प्रवेश वर्मा , राजस्थान में राजेश पायलट,के पुत्र सचिन पायलट, वसुंधरा राजे के पुत्रदुष्यंत सिंह सांसद, राजमाता विजयराजे सिंधिया के ज्योतिरादित्य सिंधिया ,स्व माधवराव सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह,भेरूलाल पाटीदार की कविता पाटीदार, नागर सिंह चौहान के पत्नी मप्र में अनीता चौहान सांसद हैं, महाराष्ट्र में बालासाहब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे,राज ठाकरे, सहित अन्य सभी नेताओं के पुत्र पुत्रियां,दामाद,अब नाती पंती ऐसे नाम हैं जो परिवार बाद के प्रतीक हैं। जिसमें चंद्रबाबू नायडू, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव,नवीन पटनायक, अभिषेक बनर्जी, हेमंत सोरेन, स्टालिन, सुखविंदर सिंह बादल, दुष्यंत चौटाला, उमर अब्दुला,सुप्रिया सुले, अजीत पंवार, डी कुमारस्वामी , गौरव गोगोई,तो बकायदा प्रजा तंत्र में पार्टियों के मालिक है। मायावती ने अपने भतीजे आनंद को पार्टी का अगला मुखिया बना दिया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परिवार बाद के बहुत खिलाफ हैं और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में इस परिवारवाद के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है।उनकी ही ताकत है कि बसुधरा राजे के पुत्र सांसद होकर केंद्रीय मंत्री नहीं हैं। अनुराग ठाकुर , पंकज सिंह, मंत्री नहीं बने हैं।मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस,असम के मुख्यमंत्री हेमंत शर्मा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, साधारण परिवारों से है ।भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अगर परिवार बाद का जीता जगता उदाहरण है तो वह नेहरू,गांधी परिवार, स्व मुलायम सिंह यादव का परिवार पीछे नहीं है। नेहरू गांधी परिवार में से तीन प्रधानमंत्री, अनगिनत केंदीय मंत्री, सांसद,रहे हैं।जय प्रकाश नारायण, चंद्रशेखर, वी पी सिंह, कर्पूरी ठाकुर, के कामराज, सरदार पटेल, निजलिगप्पा, एस नंबूदरीपाद, जयललिता, गोविंद बल्लभ पंत, मदनलाल खुराना, अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी,दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,शांताकुमार, कुशाभाऊ ठाकरे, सुंदर सिंह भंडारी, प्रताप सिंह काइरो, बेनीप्रसाद वर्मा, जनेश्वर मिश्र, आदि ऐसे राजनीतिक नेता रहे जिन्होंने अपने परिवार को राजनीत से बाहर रखा है। लेकिन ललित नारायण मिश्र,ने जगन्नाथ मिश्र, हेमबतिनंदन बहुगुणा ने अपनी पुत्री रीता बहुगुणा जोशी, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने सी पी जोशी , जम्मू कश्मीर में शेख अब्दुल्ला ने फारुख अब्दुला और अब उमर अब्दुला मुख्यमंत्री है।इसी प्रकार मप्र के मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने दीपक जोशी, और सुंदरलाल पटवा ने सुरेंद्र पटवा,कैलाश सारंग ने विश्वास सारंग को आगे बढ़ाया।भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतने बड़े देश में परिवारवाद के कारण कई राजनीतिक दलों में कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर दी जाती है। स्व मुलायम सिंह यादव के परिवार में बताया जाता है कि 16 सांसद परिवार या रिश्तेदारों के है। बताया जाता है कि देश के 4500 विधायकों में से 1553 विधायक राजनीतिक परिवारों के है ।यह भी एक अध्ययन में कहा गया है कि देश के 30 फीसदी सांसद परिवारवाद से जुड़े हैं। सैकड़ों आईएएस, आईपीएस, राज्य सेवा के अधिकारी, राजदूत, आईएफएस, इन परिवारों के है या उनके दामाद है।इन परिवारों के कई गोरख धंधे हैं, कारे, लाइफ स्टाइल आला दर्जे की होती है।इस कारण आम जनता को चिढ़ होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परिवार बाद को राजनीतिक बुराई मानते हैं और उन्होंने परिवारवाद पर अंकुश लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिवार से कोई सरोकार नहीं है शायद मां के निधन के बाद वे अहमदाबाद अपने भाई के घर भी नहीं गए। जिसमें वह 25 वर्षों से मुख्यमंत्री फिर प्रधानमंत्री है। पहले गांधीनगर में मुख्यमंत्री आवास में परिजनों का प्रवेश वर्जित था और अब प्रधानमंत्री आवास सात रेस कोर्स रोड नई दिल्ली में भी नरेंद्र मोदी का कोई परिजन नहीं आता है बताया जाता है एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां को आवास पर लाए थे।
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