राजनैतिक दलों का आत्मचिंतन
- 11-Aug-24 12:00 AM
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अजय दीक्षितखबर है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश के भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वहां के उप मुख्यमंत्रियों से दो दिन तक मंथन किया । अब मीडिया में यह तो नहीं आया कि इस मंथन की विषय वस्तु क्या थी, परन्तु यह तो निश्चित ही है कि भाजपा के गिरते ग्राफ और कई राज्यों में मुख्यमंत्रियों की प्रति असंतोष पर गहन चर्चा हुई होगी । मीडिया में यह तो आया है कि उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य व अन्य उप मुख्यमंत्रियों का योगी जी द्वारा आहूत बैठकों में भाग न लेने को अनुशासनहीनता माना गया है । मैं पहले लिख चुका हूं कि प्रोटोकॉल के अनुसार नड्डा जी को केशव प्रसाद मौर्य को समय देकर उनसे नहीं मिलना चाहिए था । पिछले कुछ दिनों से केशव प्रसाद मौर्य खुलेआम कह रहे हैं कि सरकार से बड़ा संगठन होता है । परन्तु भाजपा का शीर्षस्थ नेतृत्व अभी उत्तर प्रदेश में योगी जी को बदलने नहीं जा रहा है । प्रधानमंत्री तो कई बार कह चुके हैं कि यूपी योगी यानि उपयोगी । यह खबर भी काफी प्रचलित है कि योगी जी प्रधानमंत्री की कुर्सी की ओर देख रहे हैं । परन्तु 2029 के लोकसभा चुनाव में भी अभी मोदी जी ही चौथा टर्म करेंगे । योगी जी की बुलडोजर नीति घरेलू मामले में कामगार हो सकती है, परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य के बारे में योगी जी की परीक्षा अभी हुई नहीं हैं । विश्व स्तर पर आज मोदी जी सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं । कई करोड़ से ज्यादा विदेशी भी मोदी जी के भक्त हैं । जिस तरह मोदी जी यूक्रेन और रूस तथा रूस और अमरीका के बीच भारत के संबंधों में बैलेंस बनाये हुये हैं, ऐसी डिप्लोमेसी शायद अभी किसी अन्य नेता के पास डिप्लोमेसी नहीं है ।परन्तु भाजपा की तत्काल चिंता अपना वोट बैंक बढ़ाने की है । 400 पार और स्वयं के लिए 370 का नारा फेल हो गया और भाजपा 240 पर ही सिमट गई । वह स्वयं के 272 जीतकर भाजपा की सरकार नहीं बना पाई । आज गठबंधन की सरकार के प्रधानमंत्री मोदी जी हैं ।असल में दूसरी पार्टी से लाये गये लोगों को तत्काल मंत्री बनाने से पुराने भाजपाई खुश नहीं हैं । मध्य प्रदेश में जिस प्रकार विजयपुर के विधायक रामनिवास रावत को पहले राज्य मंत्री और फिर पन्द्रह मिनट बाद कैबिनेट मंत्री बना दिया गया, इससे भाजपाई विधायक आहत हैं । फिर उन्हें मंत्रालय भी उनकी पसंद का दिया गया है । वे भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं । परन्तु अभी तक उन्होंने सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है और न ही विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने दल परिवर्तन के आधार पर उनकी सदस्यता रद्द की है । असल में महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में विधानसभा अध्यक्ष उसी पार्टी का होता है, अत: वह नियम की अपेक्षा पार्टी हित ज्यादा देखता है ।आम आदमी पार्टी में स्वाति मालीवाल का प्रकरण भी खबरों में है । असल में कहते हैं, अरविन्द केजरीवाल उनसे राज्यसभा से इस्तीफा देने को कह रहे हैं ताकि मनु सिंघवी को राज्यसभा सदस्य बनाया जा सके । समाजवादी पार्टी में चाचा भतीजे में अन्दर कलह है । यूं बाहरी तौर पर वे इसे प्रकट नहीं करना चाहते । अब विधानसभा में कौन लीडर ऑफ अपोजिशन होगा, यह सपा तय नहीं कर पा रही है । कई राजनैतिक दल अपने अन्तर कलह से परेशान हैं । यह स्थिति देश हित में नहीं है । मोदी जी कहते हैं पार्टी से बड़ा देश है ।
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