
राजस्थान में युवाओं के भविष्य के साथ हो रहा है खिलवाड़ : गजेंद्र सिंह शेखावत
- 26-Oct-23 02:59 AM
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नई दिल्ली , 26 अक्टूबर (आरएनएस)। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान पेपरलीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की कांग्रेस राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत पर जांच के संबंध में मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि लगातार पिछले 5 वर्षों से राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार के सभी मानबिंदुओं को पार कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। राजस्थान में जिस तरह से युवाओं के भविष्य को अंधकार में डालते हुए एक से लेकर 19वें प्रकरण के मामले सामने आये हैं, उसके परिणामस्वरूप प्रदेश के 70 लाख युवाओं का भविष्य अंधकारमय हुआ पड़ा है। अपितु गहलोत सरकार द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यमों में भर्ती की व्यवस्था पर से भी प्रदेश के युवाओं, लोगों, परिवारजनों का विश्वास समाप्त हो गया। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने वक्तव्य में कहा कि उन 70 लाख युवाओं में से निश्चित ही अधिकांश युवा किसी गरीब, किसान, साधारण, आदिवासी या दलित परिवार के बेटे या बेटी थे, जिन्होंने पेट काटकर अपने बच्चों सरकारी नौकरी के सपने संजोए थे, जिसके उनके जीवन में एक स्थाईत्व आएगा और उनके परिवार का सम्मान भी एक बार फिर पुन: स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि यह बात सोचनीय है कि पहले पेपर लीक से लेकर के 19 वें पेपर लीक तक लगातार सरकार और सरकार में बैठे हुए लोग इसपर लिपापोती करते हुए नजर आ रहे हैं । प्रारंभ के पेपर लीक के समय गहलोत साहब ने प्रतिक्रिया देते हुए फौरी तौर पर ये कहा कि इस तरह की घटनाएं सामान्य बात है और अन्य प्रदेशों में भी इस तरह की घटनाएं होती है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने राग में बदलाव करते हुए दूसरा सुर अपनाया और कहा कि वे जांच करेंगे, क्रम न थमने तक। उन्होंने फिर तीसरा सुर अपनाया और कहा कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इसमें लिप्त नहीं है।18वें पेपर लीक के बाद बीजेपी ने प्रचंड आंदोलन राजस्थान के प्रत्येक जिले में खड़ा किया, इसके बाद से ही पेपर लीक मामलें में जांच शुरू की गई। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों का अभिनंदन करते हुए कहा कि मीडिया ने जिस निर्भीकता और निष्पक्षता के पेपर लीक से जुड़े विषयों को देश-प्रदेश की जनता के सामने रखा, उसके दवाब में आकर ही गहलोत सरकार को कुछ फौरी तौर पर कार्रवाई करनी पड़ी और कार्रवाई कुछ कदम चली। आपको ज्ञात हो कि भाजपा के पुरजोर विरोध के कारण ही पेपरलीक मामले में संलिप्त आरपीएससी सदस्य और मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को जेल भेजना पड़ा। पेपर लीक प्रकरण में ईडी के प्रवेश के बाद इसके सरगना की गिरफ़्तारी हुई और सरगना की गिरफ़्तारी के बाद जिस तरह के तार जुड़ते हुए प्रतीत हुए उनके चलते हुए ईडी ने जो हालिया कार्रवाई की है उन कार्रवाईयों का परिणाम यह है कि आज सरकार बैकफूट है और बौखलाई हुई नजर या रही है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार का ये संकल्प पहले दिन से रहा है कि हम किसी भी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे और भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरन्स की नीति अपनाते हुए हुम इस दृष्टिकोण से आचरण और व्यवहार करेंगे। इस पेपर लीक केस में एसओजी और एंटी करप्शन ब्यूरो जो राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत साहब के अधीन काम करती है, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री होने के नाते इसपर डायरेक्ट कंट्रोल एण्ड कमांड मुख्यमंत्री का है। जब मुख्यमंत्री स्वयं आगे चल कर के इस तरह की क्लीन चिट अधिकारियों और नेताओं को दे रहे थे तब कोई भी कार्रवाई निष्पक्ष रूप से इन एजेंसियों के द्वारा हो सकेगी इसकी संभावना राजस्थान की जनता के मन में समाप्त हो गई थी। राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो में सेवानिर्वत्त डायरेक्टर जनरल श्री बीएल सोनी साहब ने खुद वीडियो संदेश के माध्यम से यह कहा था कि सरकार बड़ी मछलियों पर हाथ डालने नहीं देती थी हम पर दबाव डालकर के रोकती थी। अब जब इस प्रकरण से जुड़ी हुई बड़ी मछलियों पर ईडी ने कार्रवाई करना प्रारंभ किया है तब निश्चित ही सरकार में बैठे हुए लोगों को अपनी धरती हिलती, धसती और अपनी कुर्सी खिसकती हुई प्रतीत होती है। परिणामस्वरूप इसके चलते ही वो ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की फौरी प्रतिक्रियाएं करते हैं। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने मीडिया संबोधन में कहा की आज से पेपरलीक मामले में ईडी की नियमानुसार कार्रवाई शुरू होने से 70 लाख युवाओं-युवतियों व उनके परिजनों को न्याय मिलने की आस जगी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साहब ये बताएं कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा इस आरोप में सम्मिलित है या उनके सूत्र और तार उनके परिवार से जुड़े हुए मिलते हैं तो इन गरीबों, दलितों, शोषितों, पीडि़तों और उनके परिवार के युवाओं को न्याय दिलाने के लिए उनपर उचित कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए । मैं आप सब को स्मरण कराना चाहता हूँ कि जब मुख्यमंत्री ये कह रहे थे कि कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इसमें सम्मिलित नहीं है तब पहली ही जांच एंटी करप्शन ब्यूरो ने की थी उस पहली ही जांच में सूत्र अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचे थे लेकिन इस राजनीतिक स्तर पर हुए भ्रष्टाचार को दबाने के लिए गहलोत सरकार ने जांच को रोकने का काम किया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक तरफ इस बात को कहते हैं ईडी को आर्थिक अनियमित्ताओं के लिए कार्रवाई करनी चाहिए, दूसरी तरफ जब इस तरह की आर्थिक अनियमित्ताओं पर कार्रवाई होती है तब वो तिलमिला करके अलग बयान देते हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत ने अशोक गहलोत से प्रश्न करते कहा कि पेपर लीक माध्यम जिस तरह का षड्यन्त्र लाखों युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने के लिए हुआ और उसमें जिस तरह से लाखों लाख रुपए या करोड़ों रुपए का जिस तरह से लेनदेन हुआ क्या वो आर्थिक अपराध की श्रेणी में नहीं आता? दूसरा मुख्यमंत्री ये कहते हैं की आर्थिक अनियमित्ताओं पर जांच होनी चाहिए लेकिन जब उनके पुत्र द्वारा किए गए आर्थिक अनियमित्ता पर कोई जांच होती है उसपर वो तिलमिला कर के प्रतिकूल बयान क्यों देते हैं? आज उन्होंने इस ईडी की कार्रवाई को अपने द्वारा दी जा रही खोखली गारंटियों जिनके ऊपर से जनता का विश्वास समाप्त हो गया है उनके साथ जोडऩे की एकबार पुन: चेष्ठा की है। राजस्थान के किसानों के साथ धोखा करने वाली, युवाओं के साथ अन्याय करने वाली, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली, माताओं बहनों के सम्मान को गिरते हुए देखकर आँख मूँद कर देखने वाली इस वर्तमान अशोक गहलोत सरकार की तिलमिलाहट और बौखलाहट आज स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। मैं एक विषय और आप सबके सामने स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ईडी ने जो माननीय गहलोत साहब के बेटे के खिलाफ कार्रवाई की है उसके तार मोरिशियस से हवाला के जरिए पैसा जाना और रीरूट हो कर के पैसा आना इस प्रकरण से जुड़े हुए हैं। इस तरह से देश में काले धन को घूमा कर उसको लीगल बनाने का जो प्रयोग होता था और उसको रोकने के लिए जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में काम किया गया है और सफलतापूर्वक लगाम लगाने की कोशिश की है। भाजपा का प्रश्न ये है कि उपरोक्त सभी मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और वैभव गहलोत पर लगे आरोपों को लेकर अशोक गहलोत साहब को अपनी स्पष्ट राय देनी चाहिए। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जहां तक ईडी की बात है जो माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साहब बार इस बात का दोषारोपण करते है की ईडी की कार्रवाई उन्ही प्रदेशों में होती है जहाँ चुनाव होने वाले हैं और विपक्षी नेताओ को टारगेट कर के ईडी की कार्रवाई की जाती है। श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जनता से प्रश्न किया की अब से पहले जितने प्रमुख ईडी के मामलें हुए है उनमें से कितनी कार्रवाई में राहत मिली है ? अगर सरकार की प्रभाव में एजेंसी ने काम किया होता, तो निश्चित न्यायालय हस्तक्षेप कर के रहत प्रदान की होती। ईडी के 9 साल का रिकार्ड उठा कर देखा जाए तो ईडी ईडी का कनविक्शन रेट 94 फीसदी है. शायद दुनिया के किसी भी एजेंसी के द्वारा कार्यवाई में दोषसिद्धि का दर इतना नहीं होगा। यह आरोप कि ईडी कार्रवाई का राजनीतिकरण करने की कोशिश हो रही है, निश्चित रूप से गलत है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा की ईडी ने 9 साल में 5906 केस पंजीकृत किए हैं, जिसमें केवल 3 प्रतिशत केस ही राजनीतिक लोगों से संबंधित हैं। इसलिए ईडी केवल राजनीतिक लोगों पर ही कार्यवाई करती है, ये आधारहीन बात है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि गहलोत साहब भ्रष्टाचार पर होने वाली कार्यवाही से इसलिए तिलमिलाए हुए हैं क्योंकि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे पैमाने तोड़ दिया। गहलोत साहब भ्रष्टाचार पर होने वाली कार्यवाही से इसलिए तिलमिलाए हुए हैं क्योंकि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे पैमाने तोड़ दिए हैं। उन्हीं के पार्टी के नेताओं व विधायकों ने विधानसभा पटल पर वक्तव्य दिया है की हमारी सरकार इस सदी की भ्रष्टतम सरकार है। पेपर लीक मामलें में उन्हीं के नेता सचिन पायलट ने अनशन भी किया था और उन्होंने अजमेर से लेकर जयपुर तक की यात्रा भी निकाली थी।
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