
राष्ट्र की संप्रभुता से बढ़कर कुछ नहीं, हाई कोर्ट का आरोपियों को जमानत देने से इनकार
- 14-Jun-25 09:20 AM
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0-यूएपीए मामला
श्रीनगर,14 जून (आरएनएस)। जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने कड़े शब्दों में फैसला सुनाते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी गतिविधियों के आरोपी दो लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि, आम जनता की शांति और सौहार्द के अलावा राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता से ऊपर कुछ भी नहीं है.
जस्टिस संजय परिहार और न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की डिवीजन बेंच ने शोपियां के बिलाल अहमद कुमार और अनंतनाग के तौफीक अहमद लवे की अपील खारिज कर दी. वे दोनों जनवरी 2021 से एफआईआर संख्या 20/2021 के तहत हिरासत में हैं.
दोनों के पास से कथित तौर पर एक हथगोला और एक किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी. साथ ही उन दोनों पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से संबंध होने का आरोप है.
अदालत ने 6 जून को सुनाए गए अपने 12 पन्नों के फैसले में कहा कि, अपीलकर्ता एक ऐसे मॉड्यूल का हिस्सा थे जिसमें सक्रिय आतंकवादी एजाज अहमद वानी, रईस अहमद भट भी शामिल थे. ये दोनों आतंकी साल 2021 में एक एनकाउंटर में मारे गए थे.
कोर्ट के फैसले में कहा गया कि, इस तरह की गतिविधियों का उद्देश्य आम जनता में असुरक्षा की भावना पैदा करना है, जिससे वे आतंकित महसूस करें, ताकि वे ऐसे संगठनों के निर्देशों का पालन कर सकें, जिनका एकमात्र उद्देश्य राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाना तथा राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करना है.
अपीलकर्ताओं ने विशेष न्यायाधीश (यूएपीए) अनंतनाग के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि उन्हें चार साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया है, लेकिन मुकदमे में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. उनके वकील वाजिद मोहम्मद हसीब ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के पास प्रत्यक्ष सबूतों का अभाव है और उनके नाम केवल सह-अभियुक्तों के खुलासे के माध्यम से सामने आए हैं.
हालांकि, बेंच ने यूएपीए की धारा 43-डी (5) के तहत कड़े जमानत प्रतिबंधों का हवाला देते हुए इन दलीलों को खारिज कर दिया, जो अधिनियम के चैप्टर 4 और 6 के तहत अपराधों पर लागू होते हैं. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, जमानत देने या न देने के चरण में अभियोजन पक्ष के मामले के गुण-दोष को नहीं छुआ जाना चाहिए. बरामद विस्फोटकों का नेचर और अलग-अलग दूसरे व्यक्तियों के साथ उनके (अपीलकर्ता) संबंध को देखते हुए, जो सक्रिय आतंकवादी पाए गए और उनमें से कुछ साल 2021 में मुठभेड़ में मारे गए.
कोर्ट ने कहा, इसलिए ऐसे आरोपों में अपीलकर्ताओं को हथियारों और विस्फोटक पदार्थों के परिवहन और ले जाने के लिए पैदल सैनिकों के तौर में काम करने का जिक्र किया गया है, जिनका उपयोग वास्तव में बाद में सक्रिय आतंकवादियों द्वारा विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए किया गया था.
यह मामला 30 जनवरी, 2021 को दूनीपोरा संगम (अनंतनाग) में ग्रीन टनल के पास एक पुलिस चौकी अभियान से जुड़ा है, जहां इमरान अहमद हजाम और इरफान अहमद अहंगर नामक दो लोगों को पिस्तौल, मैगजीन और जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया था. जांचकर्ताओं का कहना है कि दोनों के खुलासे के कारण बिलाल अहमद कुमार और लवे की गिरफ्तारी हुई.
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