रूस यूक्रेन युद्ध में अब ट्रंप नहीं घुसेंगे, पॉप फ्रांसिस लियो पर जिम्मेदारी छोड़ी
- 24-May-25 12:00 AM
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अजय दीक्षितयूएस प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने रूस यूक्रेन युद्ध से अपने आप को अलग कर लिया और जिम्मेदारी पॉप फ्रांसिस लियो पर छोड़ दी है। उल्लेखनीय है कि यूएस प्रेसिडेंट चुने जाने पर उन्होंने कहा था कि रूस यूक्रेन युद्ध समाप्त होगा। लेकिन चार महीने कोशिश करने के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप को एक मझे हुए खिलाड़ी की तरफ बेबस कर दिया।इस घटना को अंतराष्ट्रीय बिरादरी में अमेरिका की विदेश नीति की धज्जियां उड़ गई हैं। यूएस प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने चाइना से भी टैरिफ बार में समझौता कर लिया। पिछले चार महीनों में जो कुछ ट्रंप ने करने की कोशिश की वह फलीभूत नहीं हुई। दूसरी ओर युक्रेन के राष्ट्रपति जिलेशकी को यूरोप का पूरा समर्थन मिल रहा है। यूरोपीय संघ ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है।यूरोपीय देशों ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली,में ट्रंप को लेकर बहुत ही अनिश्चिता का भाव है।उद्यपि ये देश नाटो के सदस्य हैं लेकिन इन दिनों नाटो का नेता अमेरिका ही विचित्र माहौल बना रहा है। ट्रंप पर से भरोसा उठता जा रहा है।पुतिन अपनी शर्तों पर युद्ध विराम चाहते हैं उनकी एक ही शर्त है कि किसी भी कीमत पर युद्ध में विजय भूभाग यूक्रेन को बापिस नहीं करेंगे और हर्जाना भी बसूल करेंगे।अब यह युद्ध खत्म नहीं होने जा रहा है क्योंकि पुतिन अब आक्रामक मुद्रा में हैं।जलेशकी की हालत सांप छछूंदर की हो रही है इधर कुआं उधर खाई करें तो क्या करे। बताया जाता है रूस ने यूक्रेन के चालीस फीसदी भूभाग पर कब्जा कर लिया है जहां रशियन भाषा बोली जाती है।यही उसका प्लान था और है । दरअसल यूक्रेन 1991,से पहले पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा था। युक्रेन विशाल देश है और अनाज, खनिज का भंडार है।दूसरे एक बात और है यूक्रेन पर नाटो में शामिल होने का भूत सवार था और वह अपनी रूस से सुरक्षा चाहता था। ऐसा भरोसा यूरोपीय देशों ने दिया था। लेकिन रूस इतना विशाल देश है कि उसके पास हथियारों का जखीरा है। विश्व सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक भी है। भारत को एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम उसी ने दिया है जिससे पाकिस्तान के नूर खान, एयरबेस की फर्खच्चे उड़ गए।यूएस प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने बताया कि अब वह रूस यूक्रेन युद्ध में हस्तक्षेप नहीं करेगा। कहने उन्होंने पॉप फ्रांसिस लियो को जिम्मेदारी दी है।रूस और युक्रेन दोनों देशों में अधिकतर ईसाइयत ही हैं।हो सकता है कि रूस अपनी शर्तों पर पॉप फ्रांसिस लियो के कहने पर युद्ध रोकने का फैसला ले लें मगर जीत हासिल भूभाग बापिस नहीं करेगा। पुतिन इस मामले में बहुत घाघ हैं। अब बारी हंगरी, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया की है।
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