रूस से दोस्ती की तो लगेगा 500प्रतिशत टैरिफ! डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान से टेंशन में दुनिया

  • 02-Jul-25 12:08 PM

न्यूयॉर्क ,02 जुलाई ।  टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर फिर से तीखे हो गए है। ट्रंप ने अब एक ऐसे विधेयक को संसद में पेश करने की इजाजत दे दी है, जो रूस से ट्रेड करने वाले देशों पर 500 प्रतिशत टैक्स की वकालत करता है। इसमें चीन के साथ भारत भी है।
दक्षिणी कैरोलिना से रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम ने एक इंटरव्यू में इसका दावा किया है। इंटरव्यू में ग्राहम ने कहा कि यह उनके लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि इस बिल का प्रस्ताव उन्हीं ने रखा है। ग्राहम ने कहा, यह बिल क्या करता है? यदि आप रूस से उत्पाद खरीद रहे हैं और आप यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके उत्पादों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आने पर 500 फीसदी का टैरिफ लगेगा। भारत और चीन पुतिन के तेल का 70 फीसदी खरीदते हैं और ऐसा कर वह रूस के युद्ध मशीन को ईंधन दे रहे हैं। अमेरिकी सांसद का दावा ऐसे वक्त पर आया है, जब भारत अमेरिका से ट्रंड डील फाइनल करने के लिए बातचीत कर रहा है।
अमेरिकी सांसद ग्राहम का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत चल रही है। ग्राहम का दावा ये भी है कि ये पहला मौका है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बिल का समर्थन किया है। उन्होंने बताया कि गोल्फ खेलते वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे कहा कि अब इस विधेयक को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। ग्राहम ने कहा कि यह पहली बार है, जब ट्रंप ने इस बिल का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य चीन और भारत जैसे देशों पर उच्च टैरिफ लगाकर उन पर हमला करना है जो बड़ी मात्रा में रूसी तेल आयात करना जारी रखे हुए हैं। ग्राहम ने कहा, भारत और चीन रूस का 70त्न तेल खरीद रहे हैं – वे युद्ध मशीन को चालू रख रहे हैं। मेरे विधेयक के 84 सह-प्रायोजक हैंज् कल पहली बार राष्ट्रपति ट्रंप ने मुझसे कहा कि विधेयक को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि जब वह गोल्फ खेल रहे थे तभी प्रेसिडेंट ट्रंप ने कहा कि बिल को आगे बढ़ाने का वक्त आ गया है।
अगर यह बिल अमेरिकी संसद से पारित हो जाता है तो इससे भारत और चीन दोनों के साथ अमेरिकी व्यापारिक संबंधों में बड़ी दरार आ सकती है। भारत के लिए अमेरिका शीर्ष निर्यात बाजार रहा है। इस बिल के पारित होने से भारतीय निर्यात बाधित होंगे, जिसकी वजह से आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
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